होली पर्व पर इस बार पाताल वासिनी भद्रा शुभ संयोग देखने को मिलेगा, जिसके चलते शुभ संयोग बने रहेंगे जबकि होलाष्टक 17 मार्च से शुरू होगा और 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। इस बार पाताल वासिनी शुभ संयोग के चलते होली सभी के लिए बेहद मंगलकारी रहने वाली होगी। महाशिवरात्रि के बाद अब बाजार में होली का माहौल दिखाई देने लगा है। कई जगहों पर रंग और पिचकारियों की दुकानें सज गई है। रंगों के त्योहार को मनाने के लिए लोगों ने तैयारी कर ली है।
ज्योतिषाचार्य पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि पंचांग की गणना के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर प्रदोष काल में होलिका के पूजन की मान्यता है। इस बार 24 मार्च को रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र की साक्षी में प्रदोष काल के दौरान होलिका का पूजन होगा। जबकि आठ दिन पूर्व होलाष्टक लग जाते हैं, जिनमें कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता, जो कि 17 मार्च रविवार से शुरू हो जाएंगे। कुछ स्थानों पर भद्रा के बाद पूजन की मान्यता बताई गई है, जबकि कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में आने वाले पर्व पर भद्रा पाताल लोक में निवास करती है। इस दृष्टि से इसमें कोई दोष नहीं है, अर्थात प्रदोष काल में ही होलिका का पूजन होगा।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हर बार होलिका का पूजन एक या दो साल के अंतराल में भद्रा की साक्षी में आता ही है। यह भी लगभग स्पष्ट है कि होलिका के पूजन पर भद्रा का दोष कितना मान्य होता है या नहीं होता है। ज्योतिष शास्त्र में भद्रा का वास चंद्रमा के राशि संचरण के आधार पर बताया गया है।