पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की चंडीगढ़ से दिल्ली तक की सियासी डगर वाया करनाल होकर ही गुजरेगी। यदि मनोहर करनाल सीट से लोकसभा चुनाव जीतते हैं तो वह केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हो जाएंगे।
इससे पहले मनोहर लाल करनाल विधान सभा सीट से 10 साल विधायक रहते हुए मुख्यमंत्री बने थे।
सीएम पद छोड़ने के बाद वह अब करनाल में ही रहेंगे, इसके लिए उनकी कोठी को तैयार किया जा रहा है। उधर, भले ही अभी तक मुख्य विपक्षी पार्टी ने पत्ते न खोले हों लेकिन मनोहर को नई पारी में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक से लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 10 साल रहने के बाद अब केंद्रीय राजनीति की ओर कदम बढ़ाने जा रहे मनोहर लाल के राजनीतिक जीवन में करनाल ने अहम भूमिका निभाई है।
उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए कई विकास कार्य करनाल में किए हैं। भले ही कोई बड़ी इंडस्ट्री न लग पाई हो लेकिन करोड़ों की विकास परियोजनाएं दीं लेकिन इसके बावजूद 10 सालों में काफी लोग नाराज भी होते हैं, जिनके कार्य नहीं हो पाते हैं या जिनकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाते हैं, ये उनके सामने एक चुनौती भी होगी। वह 10 साल मुख्यमंत्री रहने वाले बड़े कद के नेता हैं तो उनके सामने 2019 की जीत का रिकॉर्ड तोड़ने की भी चुनौती होगी, जो देश में दूसरी सबसे बड़ी जीत थी। केंद्रीय राजनीति की ओर बढ़ते कदम की गति क्या रहेगी, अभी विपक्षी पार्टी के उम्मीदवार पर भी निर्भर करेगा।
क्योंकि अभी भाजपा में रहकर लोकसभा का टिकट मांग रहे करनाल के एक पूर्व सांसद और ब्राह्मण नेता के टिकट के बारे में भी फैसला नहीं हो सका है, लेकिन इससे पहले ही उक्त ब्राह्मण नेता के दिल्ली में एक कांग्रेस के बड़े नेता से मिलकर आने की भी चर्चा है। यदि इसमें कांग्रेस की सियासत आगे बढ़ती है ये नेता जी कांग्रेस के टिकट पर करनाल से ताल ठोक सकते हैं।
हालांकि मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र देने से सिर्फ एक दिन पहले ही ब्राह्मण नेता व असंध विधान सभा क्षेत्र के पूर्व विधायक जिलेराम शर्मा को भगवा रंग में रंगकर इस चुनौती से निपटने के लिए पहले से ही तैयारी कर रखी है लेकिन पूर्व सांसद को भाजपा से यदि टिकट मिल जाता है तो राह काफी आसान हो सकती है।
करनाल में कोई बड़ी इंडस्ट्री का स्थापित न हो पाना, अफसरशाही हावी रहना, प्राॅपर्टी आईडी से परेशानी आदि कुछ बीच में दिक्कतें तो रही हैं लेकिन इस सबके बावजूद मनोहर लाल ने अपनी छवि को ईमानदार और बेदाग रखा है, ये बड़ा प्लस प्वॉइंट है। पंजाबी बिरादरी अच्छी खासी संख्या में है, जो मनोहर लाल के साथ खड़ी दिख रही है, ब्राह्मण, वैश्य व ओबीसी जातियों को भी काफी हद तक जोड़कर रखा है।