बी. वॉक रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन के विद्यार्थी बलदेव और दीपक वर्मा ने केवल एक महीने की मेहनत से यह मोबाइल रोबोट बनाया है। दोनों विद्यार्थियों ने श्रीविश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की इलेक्ट्रॉनिक्स लैब में खुद इस मोबाइल रोबोट को डिजाइन किया और उसकी प्रोग्रामिंग की। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से उन्होंने फेब्रिकेशन कोडिंग, हार्डवेयर प्लानिंग और एंड्रॉयड ऐप की मैपिंग सीखी। सीनियर स्किल इंस्ट्रक्टर शंशबीर डागर की देखरेख में उन्होंने मोबाइल रोबोट के पे लोड पर भी काम किया। इसे बनाने वाले छात्र बलदेव ने बताया कि इस रोबोट को रोबल नाम दिया गया है। इसे मोबाइल फोन के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है और यह पांच किलो तक का सामान उठा कर गंतव्य तक पहुंचने में सक्षम है। दीपक वर्मा ने बताया कि रास्ते में आने वाली छोटी-मोटी अड़चनों को भी यह पार कर जाता है। यह 360 डिग्री पर तेजी से घूमने में सक्षम है। लैब में परीक्षण के बाद श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय में मोबाइल रोबोट का ट्रायल रन किया गया। रोबल नाम का यह रोबोट कुलपति डॉ. राज नेहरू के कार्यलय में फाइल लेकर गया और उनके हस्ताक्षर करवाने के बाद उसे वापस डीलिंग हैंड के पास लेकर आया। साथ ही उसने चाय भी परोसी। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने विद्यार्थियों की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए इस रोबोट को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इंटीग्रेट करने की स्वीकृति दी। उन्होंने कहा कि शोध करने में कितना भी खर्च आए, विश्वविद्यालय यह खर्च वहन करेगा। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने बताया कि दाखिलों के दौर में विश्वविद्यालय में काफी फोन कॉल आते हैं। विद्यार्थी दाखिलों और प्रोग्राम के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। प्रवेश संबंधी सारी जानकारियां और डाटा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुंचाने के लिए प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। चैट जीपीटी और रोबोट को एकीकृत करने के लिए प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी गई है। शीघ्र ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि जब तक अप्लाइड लर्निंग में एक्सपेरीमेंट नहीं करेंगे तो स्किल नहीं बढ़ा सकते। यही श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी विशेषता है, प्रत्येक विद्यार्थी प्रोजेक्ट पर काम करता है। यह उसी का नतीजा है कि विद्यार्थी इतना स्मार्ट रोबोट बना पाए हैं।