हिंदू धर्म में अनेकों व्रत, महापर्व, त्योहार अपना-अपना एक अलग ही स्थान है। इसी कड़ी में भारतवर्ष में सभी तीज त्योहार, जिसमें व्रत की भूमिका रहती है। इस प्रकार के सभी पर्व लोग बड़ी ही श्रद्धापूर्वक व्रत धारण कर मनाते हैं। ऐसे ही हिंदू धर्म में एकादशी व्रत माना है। इसका विशेष महत्व होता है।
एकादशी व्रत नित्य व्रत है, प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशियां होती हैं, परंतु जिस वर्ष अधिक मास आ जाते हैं, तो यह एकादशी 24 से बढ़कर 26 हो जाती हैं। प्रत्येक महीने की एकादशी का एक विशिष्ट नाम का महत्व और नियम है एकादशी व्रत दो प्रकार से रखा जाता है। इसमें पहला र्स्मात और दूसरा वैष्णव कहा गया है। र्स्मात व्रत जो गृहस्थी मनुष्य पंचदेव, अर्थात गणेश, विष्णु, शिव, सूर्य व दुर्गा के उपासक हैं उन्हें र्स्मात कहा गया है।
वैष्णव किसी विशेष संप्रदाय आचार्य गुरु से दीक्षा कंठी माला और तिलक आदि नियमों के अनुसार विशेष ईस्ट की पूजा की जाती है। वह वैष्णव कहलाता है। एकादशी व्रत को श्रद्धापूर्वक धारण करने से अनेकों फल की प्राप्ति होती है। इसलिए सभी भक्तों को एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए।
एकादशी व्रत के दिन अन्न न खाएं
सिटी शर्मा कॉलोनी निवासी पं. धर्मपाल शास्त्री ने बताया कि एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी अन्न नहीं खाना चाहिए। जो भक्त एकादशी व्रत धारण करता है वह इस भवसागर से पार हो जाता है। इस व्रत में प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर भगवान के चरणों में बैठकर एकादशी व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करना चाहिए।