राखीगढ़ी में टीलों के नीचे बहुत कुछ दबा हुआ है जो इस देश के प्राचीन इतिहास के बारे में बड़ी खोज कर सकता है। राखीगढ़ी में तीसरे सेशन के तीसरे साल की खोदाई शुरू हो गई है। इससे हड़प्पा कालीन सभ्यता के बारे में अनेक बातों की जानकारी होगी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान नोएडा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से पुरातत्वविदों की ओर से उत्खनन शुरू किया गया है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान, नई दिल्ली के 13 छात्र टीला नंबर एक पर खोदाई करेंगे।
इस बार यह खोदाई मई या जून तक चलने का अनुमान है। राखीगढ़ी पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता है। हड़प्पा कालीन साइट राखीगढ़ी उस समय का महानगर होता था। पिछली बार की खोदाई में दृष्टवती नदी के होने के प्रमाण मिले थे। इसके साथ-साथ साइट नंबर एक पर कच्ची ईंटों की दीवारें और साइट नंबर तीन पर एक कुआं मिला था। कुएं का व्यास करीब एक मीटर था और उसके चारों तरफ एक-एक फुट की बी नुमा 32 पक्की ईंटें लगाकर गोल आकार का बनाया हुआ था।