शंभू सीमा पर बुधवार को किसान आंदोलन में दिनभर टकराव की स्थिति नजर आई। युवाओं में जोश था कि आज बैरिकेड तोड़कर दिल्ली के लिए रवाना होंगे। मगर दिनभर प्रदर्शनकारियों को पुलिस के आंसू गैस के गोलों का प्रहार सहना पड़ा।
इधर बार-बार मंच से मोर्चे पर डटे किसानों को समझाया जा रहा था कि यूनियन नेताओं के निर्देशों का इंतजार करें तब तक शांति रखें। इस बीच किसानों को वार्ता के लिए भी बुलाया गया। मगर जैसे-जैसे समय बीतता रहा, युवा किसानों का सब्र टूट रहा था।
इसके बाद शाम को चार बजे युवा प्रदर्शनकारी मंच के पास पहुंचे और जत्थेदारों से पोकलेन मशीन आगे ले जाने के लिए कहा, मगर जब जत्थेदारों के मना करने पर युवाओं में नाराजगी दिखी।
किसान नेता हाथ जोड़कर युवाओं से शांत रहने की अपील कर रहे थे, मगर युवा मानने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि जब बेरिकेड्स नहीं तोड़ने थे तो मशीनें क्यों मंगाई।
इसके बाद शाम को सरवन सिंह पंधेर मंच पर आए और उन्होंने खनौरी बॉर्डर के हालात बताते हुए युवाओं से शांति रखने की अपील की। युवा नहीं माने और उनकी बात भी नहीं सुनी। इसके बाद किसान नेता नाम जाप करने लगे तो युवा दूसरी तरफ जाकर आपस में चर्चा करते दिखाई दिए।
मोर्चे पर पहले से थी अधिक भीड़
शंभू सीमा पर बुधवार को अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक भीड़ रही। जैसा कि दिल्ली कूच की तैयारियों के लिए यूनियन नेताओं ने आह्वान किया था ठीक वैसे ही मोर्चे पर डटे रहने के लिए प्रदर्शनकारी किसान आंखों पर चश्मे, मुंह पर अत्याधुनिक मास्क, कानों पर हेडफोन लगाकर आए थे।