किसानों के आंदोलन के कारण दिल्ली-अंबाला नेशनल हाईवे 44 नौंवे दिन सोमवार को भी बंद रहा। मारकंडा नदी पुल के पास सील किए गए हाईवे पर ढील देने की बजाए सुरक्षा के बंदोबस्त और बढ़ा दिए गए हैं। रविवार देर रात तक सरकार के साथ चली किसानों की बैठक में भी कुछ खास सकारात्मक परिणाम न मिलने के चलते सुरक्षा बलों के जवान और अलर्ट हो गए हैं। ऐसे में दिन भर राहगीरों और वाहन चालकों को आसपास के गांवों से निकलने वाले रास्तों से ही जाना पड़ा।
उधर, हाईवे पर चलने वाले वाहन सोमवार को बड़ी संख्या में गांव जैनपुर और रामनगर से गुजरते रहे। वाहनों की अधिकता के कारण इन गांवों में भी जाम के हालात बने रहे। वाहन के गांव से निकलने के कारण ग्रामीणों को हादसे की आशंका भी सताने लगी हैं। अब किसानों और ग्रामीणों की नजर 21 फरवरी को लिए जाने वाले निर्णय पर सभी की निगाहें टिक गई है। वहीं प्रशासन की ओर से बंद किए गए हाईवे के आसपास सुरक्षा में किसी प्रकार की ढील नहीं है। यहां पर पुलिस व अर्ध सैनिक बलों के जवान हर समय अलर्ट रहते हैं। गांव मामू माजरा निवासी जोगिंद्र, गुरतेज, सुबेग सिंह और हरभजन सिंह ने प्रशासन से मारकंडा पुल से जल्द बैरिकेड हटाने की मांग की है।