राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने सामाजिक न्याय के पुरोधा, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इस पर पीएम का धन्यवाद किया। सांसद ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री का आभार जताया है।
उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि 1975 के समय महम में इमरजेंसी से पहले एक उपचुनाव था। उस समय हरस्वरूप बूरा के पक्ष में प्रचार करने के लिए कर्पूरी ठाकुर महम आए थे और उनके साथ तीन दिन तक रहे। उनके भाषण में असली गरीब व पिछड़े लोगों का दर्द था। भाषण सुनने के बाद वे उनके प्रेरणा स्रोत बन गए।
इस उपचुनाव में प्रचार करने के लिए बामला निवासी बलबीर सिंह ग्रेवाल के साथ कर्पूरी साहब को लेने के लिए वे दिल्ली पहुंचे। वह यह सोचकर गए थे कि कर्पूरी के पास अपनी गाड़ी होगी, लेकिन उनके पास गाड़ी नहीं थी। उन्होंने बस में ही महम जाने का निर्णय लिया। वह तीनों दिल्ली से महम वाली बस में बैठ गए। बस खचाखच भरी हुई थी। इसमें कर्पूरी साहब खड़े हो गए।
ऐसा देख जब उन्होंने कर्पूरी को सीट दिलाने के लिए सवारियों से उनका परिचय देना शुरू किया तो उन्होंने मना कर दिया और महम तक बस में खड़े होकर सफर किया। यहां वह तीन दिन तक रहे। इस दौरान उनके कपड़े मैले हो गए थे। जब उनसे कपड़े धुलवाने के लिए निकालने की प्रार्थना की तो उन्होंने कहा कि उनके पास दूसरी कमीज है, लेकिन उनके पास कोई बैग नहीं था।
कर्पूरी ने तीन कमीज पहन रखी थी। नहाने के बाद ऊपर वाली कमीज नीचे और नीचे वाली कमीज को ऊपर पहन लिया। बताया कि उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उनके पिता लोगों की हजामत बनाने का काम करते थे।
उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपना मकान नहीं बनवाया। एक बार उनको किसी ने मकान बनाने के लिए काफी मात्रा में ईंटें भेंट कर दी, लेकिन उन्होंने उन ईंटों से स्कूल का निर्माण करा दिया, ताकि इसमें बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकें।