अभी भी लोग नौकरी के नाम पर लाखों रुपये की ठगी के शिकार हो रहे हैं। अब नारनौल के रामपुरा गांव के एक युवक के साथ एयरफोर्स में नौकरी लगवाने के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी हुई है। जिसने पुलिस में मामला दर्ज करवाया है।
पुलिस शिकायत में रामपुरा निवासी सोनू पुत्र भूपेंद्र ने बताया कि उसके पास उसके गांव का सोनू पुत्र विक्रम और विक्रम पुत्र दलीप सिंह जुलाई 2022 को आए और कहा कि वह सरकारी नौकरी लगवाते हैं। वह तुझे भी एयरफोर्स या आर्मी में नौकरी लगवा देंगे। इसके बाद पीड़ित ने कहा कि उसे नौकरी की जरूरत है, अगर कहीं हो तो बता देना। इसके बाद पीड़ित के पिता ने विक्रम से बात की। 13 जुलाई 2022 को एयरफोर्स में एक पद खाली होने का पीड़ित के पास मैसेज किया।
इसके बाद पीड़ित सोनू से 50 हजार रुपये व कागजात मांगे। पीड़ित ने सोनू पुत्र विक्रम के फोन पे पर 50 हजार रुपये डाल दिए। इसके बाद दोषी सोनू ने पीड़ित के वाट्सएप पर एक नियुक्ति पत्र 18 जुलाई 2022 को भेजा। मैसेज मिलने के बाद पीड़ित युवक 19 जुलाई को दोषी के पास चला गया। उसके बाद उसे ट्रेनिंग के नाम पर 3 माह तक अपने पास चंडीगढ़ रखा। जो इन तीन माह में पीड़ित के 70 हजार रुपये जेब से खर्च हो गए।
इसके बाद आरोपी ने 19 जुलाई को 1 लाख रुपये और मांगे जिस पर पीड़ित ने अपने पिता से बात की। उसके पिता ने आरोपी विक्रम से बात की। इसके बाद पीड़ित के पिता ने आरोपी सोनू के कहने पर रेवाड़ी के धवाना निवासी अंकुश के खाते में 50 हजार रुपये डाले और 50 हजार रुपये आरोपी सोनू के फोने पे पर भेजे। इसके बाद आरोपी सोनू ने पीड़ित सोनू के पिता के नंबर पर फोन किया और कहा कि आप बचे हुए रुपये उसकी मौसी के लड़के अंकुश के खाते में डाल दे।
पीड़ित सोनू के पिता ने गांव के रामपुरा निवासी महेश के खाते से 20 जुलाई को आरोपी अंकुश के खाते में 4 लाख डाल दिए और पिड़ित के पिता ने उक्त महेश को नकद 4 लाख रुपये नकद वापिस कर दिए। इसके बाद 21 जुलाई को अंकुश के खाते में 2.5 लाख पीड़ित के पिता ने अपने गांव के विक्रम से डलवाएं और उसे वापिस 2.5 लाख रुपये नकद दे दिए। पीड़ित की तरफ से लगातार रुपये देने के बाद भी आरोपी नौकरी दिलाने की बात करता रहा।
लेकिन आरोपी एक-दो माह रुकने की बात कहते रहे। वह कहता कि आगे तुम्हारे दस्तावेज भेज दिए हैं और ट्रेनिंग भी अच्छी हो गई है। अब जल्द ही नियुक्ति पत्र आने वाला है। यह कह कर पीड़ित व उसके पिता को बार-बार दो माह का नाम लेकर टालते रहें। इसके बाद पीड़ित जहां उसे ट्रेनिंग के लिए लेकर गये थे वहां गया और एयरफोर्स कार्यालय में पूछताछ की तो उसे पता चला कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है।