स्वामी कॉलोनी में शुक्रवार को अपराजिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं ने लोहड़ी पर्व को मनाने की परंपरा में हो रहे बदलावों को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। महिलाओं ने कहा कि लोहड़ी पर्व नारी शक्ति के सम्मान का प्रतीक है।बताया कि इस दिन दुल्ला भट्टी ने दो बहनों की शादी करवाकर नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया था। इसके अलावा रबी की फसलों में मुनाफे की मान्यता भी पर्व से जुड़ी है। महिलाओं के विचार इस प्रकार रहे।एक तो यह मान्यता है कि 1836 के करीब जब पहली बार लोहड़ी मनी तो उस समय दुल्ला भट्टी नामक व्यक्ति ने महिलाओं को मुगलों के अत्याचारों से बचाया था। उसने दो बहनों की उनकी मर्जी के अनुसार शादी करवाकर नई परंपरा शुरू की थी। ऐसे में यह पर्व नारी शक्ति के सम्मान का प्रतीक है। वहीं रबी की फसलों में अच्छे मुनाफे के लिए भी इस पर्व को मनाने की मान्यता है।
अब लोग केवल अपने घरों में रहकर ही लोहड़ी व अन्य पर्व मनाते हैं। पहले लोहड़ी के दिन महिलाएं इकट्ठी होकर गिद्दा व अन्य लोकनृत्य करती थीं। अब एकल परिवारों के चलते पर्वों की चमक-दमक काफी कम हो गई है। निकुंज व मीनू भी मौजूद रहीं।