प्रदेश भर के सभी स्कूलों में श्रीमद्भागवत गीता को अतिरिक्त विषय के तौर पर जोड़ा जाएगा, जिससे विद्यार्थी श्रीमद्भागवत गीता में लिखे 18 अध्यायों के 700 श्लोकों को पढ़ सकेंगे, इससे जहां विद्यार्थियों को गीता का ज्ञान होगा तो वहीं उनके व्यक्तित्व को अच्छा बनाने में भी अहम कदम साबित होगा।
श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिलों के डीईओ और डीईईओ से पत्र के माध्यम से राय भी मांगी गई हैं। सभी जिलों से राय मिलने के बाद श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकेगा। इसके लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से खाका तैयार कर इसे अंतिम रूप दे जल्द लागू किया जाएगा। श्रीमद्भागवत गीता में जीवन जीने की कला से लेकर, जीवन में आने वाली हर कठिनाइयों के समाधान के रहस्य छुपे हुए है।
जिला शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा का कहना है कि श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से सुझाव मांगे गए है। श्रीमद् भागवत गीता को पाठ्यक्रम में जोड़ा जाना चाहिए ताकि विद्यार्थियों को जीवन में आने वाली हर कठिनाइयों से निपटने का ज्ञान गीता से मिल सके। साथ ही गीता पढ़ने से विद्यार्थियों में अच्छे संस्कारों का निर्माण होगा, जिससे वे अच्छा इंसान बन सकेंगे।