हरियाणा विधानसभा के पूर्व स्पीकर छतर सिंह चौहान 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने रोहतक पीजीआई में अंतिम सांस ली। उन्हें अस्थमा की शिकायत थी और वह यहां एडमिट थे। उनका पूरा बचपन दादरी जिले के बौंदकलां में गुजरा है। जब वो एक दिन के थे तो बौंदकलां में उनकी बुआ उन्हें राजस्थान के कारौली गांव स्थित अपने भाई के घर से गोद ले आई थी। किसान परिवार से निकलकर वो प्रोफेसर के पद तक पहुंचे और लॉ और एमए इतिहास में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के हाथों उन्हें दो बार गोल्ड मेडल मिला।
स्वर्गीय छतर सिंह के भांजे गजेंद्र सिंह चौहान के अनुसार, छतर सिंह ने वर्ष 1991 और 1996 में मुंढाल हलके से चुनाव लड़ा। उन्होंने हरियाणा विकास पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर जीता हासिल की। विधायक रहते हुए उन्होंने बौंदकलां में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा राजकीय कॉलेज और दो रजवाहों का निर्माण करवाने समेत क्षेत्र की कई मांगें पूरी की। करीब तीन साल वो हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे।
गजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि स्वर्गीय छतर सिंह का जन्म राजस्थान के अलवर जिले के कारौली गांव में हुआ था। जब वो एक दिन के थे तो बौंदकलां निवासी उनकी बुआ उन्हें गोद ले आई थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सांवड़ राजकीय स्कूल से की और इसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से वकालत और इतिहास में एमए किया। पहले उन्हें हेडमास्टर के पद पर सांजरवास स्कूल में सेवाएं दीं और इसके बाद महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में इतिहास प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।
परिजनों के अनुसार चौधरी छतर सिंह पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के बेहद करीबी थी। इतिहास विषय की अच्छी समझ होने के कारण उन्हें राजनीति के गुर सीखने में ज्यादा समय नहीं लगा। उस दौरान बौंदकलां मुंढाल हलके का ही गांव था और दो चुनाव में चौधरी छतर सिंह ने जीत हासिल की।