Thursday , 19 September 2024

ओलिंपियन नीरज चोपड़ा को अपनी ‘बोली’ से प्यार, कहा- अंग्रेजी सिर्फ भाषा, जीने का आधार नहीं

जेवलिन थ्रो में लोगों की दिल की धड़कन बने गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा हरियाणवी बोली को प्रमोट करने के लिए आगे आए हैं। उनका कहना है कि हरियाणा प्रदेश के युवा व लोग हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन वह अपनी बोली को कॉन्फिडेंस की कमी मानते हैं। जबकि यह गलत है। प्रत्येक व्यक्ति को अन्य भाषाएं सीखना चाहिए, लेकिन कभी भी अपनी बोली को नहीं छोड़ना चाहिए। वह खुद भी देश व विदेश में हरियाणवी बोली को खुलकर बोलते हैं और कभी भी इस बोली को बोलने में नहीं बचते।


नीरज चोपड़ा ने यह बात रविवार को अपने पैतृक गांव खंडरा स्थित संस्कृति स्कूल में एक समारोह के दौरान कही। नीरज चोपड़ा यहां मंच पर आए तो उनका पहला शब्द सबको नमस्ते और राम-राम रहा। उन्होंने कहा कि गांव में आकर उनको बहुत अच्छा लगता है कुछ लोगों का मानना है कि वह अपनी बोली की वजह से सफल नहीं है। उनको अपना डर खत्म करना होगा और अपनी हरियाणवी बोली को कॉन्फिडेंस के साथ बोलना होगा। वह अकेले नहीं बल्कि देश व विदेश में कई ऐसे उदाहरण हैं जो अपनी बोली को आज भी अपनाए हुए हैं।


उन्होंने प्रसिद्ध खिलाड़ी मैसी का भी उदाहरण दिया उन्होंने कहा कि मैसी जबरदस्त खिलाड़ी हैं, लेकिन वह अपनी बोली आज भी बोलते हैं। व्यक्ति को अपने बोली व कल्चर को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मातृभाषा ही नहीं मातृ बोली भी लोगों को अपनानी चाहिए। कई बार इस तरह की बातें महसूस होती हैं लेकिन उनको कभी भी दिल पर नहीं लेना चाहिए।


नीरज ने कहा कि हमें अपनी बोली में अपनापन नजर आता है। इसमें किसी प्रकार की शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरी इंग्लिश बहुत कमजोर थी। अब कुछ सुधार है। वह इन सबके बीच आज भी अपनी बोली को पसंद करते हैं। हरियाणवी बोली को अपने लिए बोलो। ये मत सोचो सामने वाले को कितनी समझ आ रही है। यह विषय नहीं है बल्कि मैं अपनी बोली को कितने कॉन्फिडेंस के साथ बोलता हूं यह जरूरी है।

नीरज चोपड़ा ने कहा कि अपनी बोली पर लाज नहीं ने नाज होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने काम पर कॉन्फिडेंस होना चाहिए और लक्ष्य पर नजर होनी चाहिए। जिसको सुनने और समझने की जरूरत होगी, वह डिक्शनरी की तलाश करेगा। नीरज चोपड़ा ने कहा कि एक पेड़ जब ऊंचा होता है लेकिन कभी भी अपनी जड़ नहीं छोड़ता। उसकी जड़ जितनी मजबूत होगी वह पेड़ उतना ही मजबूत होगा और विकट परिस्थितियों में मजबूती के साथ खड़ा रहेगा। इसी प्रकार व्यक्ति की बोली भी उसकी जड़ है। वह अपनी बोली को जितना ज्यादा मजबूत रखेगा, वह उतना ही आगे बढ़ेगा।

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