ताजमहल, लाल किला और कुतुब मीनार जैसे मशहूर स्थलों के दीदार के लिए अब आपको ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मशहूर पर्यटन स्थलों में प्रवेश के लिए दाम बढ़ाने की वकालत की है। प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थलों और अवशेष नियम, 1959 में मूल्य वृद्धि संबंध में संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।
भारत के साथ अन्य सार्क देशों (नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) के पर्यटकों और बिमस्टेक (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलैंड और म्यांमार) देशों के पर्यटकों को यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक स्थलों या ‘ए’ श्रेणी के स्थलों में प्रवेश के लिए अब 30 की जगह 40 रुपये देने होंगे।
इस श्रेणी में आगरा में स्थित ताज समूह के स्मारक, आगरा किला, फतेहपुर सिकरी में स्थित फतेहपुर सिकरी के स्मारक, हुमायूं का मकबरा और कुतुब मीनार आते हैं। दिल्ली के लाल किले के लिए संशोधित प्रवेश शुल्क को भारतीयों सहित सार्क और बिमस्टेक देशों के पर्यटकों के लिए 30 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये करने का प्रस्ताव है। अन्य देशों के पर्यटकों को 500 रुपये की जगह 600 रुपये का प्रवेश शुल्क लगेगा।
‘बी’ श्रेणी के स्मारकों पर 15 रुपये की जगह 25 रुपये प्रवेश शुल्क लगेंगे। इन स्मारकों में सिकंदरा में स्थित अकबर का मकबरा, रामबाग में स्थित इतिमाद-उल-दौला का मकबरा, आगरा में स्थित महताब बाग के स्मारकों का समूह, दिल्ली का जंतर-मंतर, खान-ए-खाना, पुराना किला, तुगलकाबाद किला, फिरोजशाह कोटला और सफदरगंज मकबरा शामिल हैं। वहीं अन्य देशों के पर्यटकों को 250 रुपये की जगह 300 रुपये का प्रवेश शुल्क लगेगा।
प्रस्ताव में अतिरिक्त सेवाओं के लिए भी दामों में बढ़ोतरी की बात कही गई है। इन अतिरिक्त सेवाओं में श्रेणी ए के लिए 850 रुपये और श्रेणी बी के लिए 400 रुपये का प्रस्ताव है। पुरातात्विक स्थलों और अवशेष (संशोधन) विधेयक, 2017 को 2 जनवरी, 2018 में लोकसभा द्वारा पास कर दिया गया। इसे अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा। एएसआई ने 5 फरवरी तक सभी सुझाव और आपत्तियां मंगाई हैं।
भारत, सार्क और बिमस्टेक देशों के पर्यटकों को कैशलेस पेमेंट पर पांच रुपये की छूट दी जाएगी जबकि अन्य देशों के पर्यटकों को डिजिटल पेमेंट पर 50 रुपये की छूट मिलेगी।