राज्य सरकारें दावा कर रही हैं कि पिछली साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। इसके बावजूद खासकर हरियाणा के कई शहर गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है। ऐसा क्यों है? इसका वैज्ञानिक कारण जानने के लिए अब हरियाणा ने प्रदूषण प्रभावित शहरों में एक अध्ययन कराने की योजना बनाई है, जिससे पता चल सके कि शहरों की हवा को दूषित करने वाले स्रोत कौन से हैं।
प्रदूषण फैलाने के कारणों का पता चलने के बाद उस पर काम किया जा सके। हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम, पानीपत और सोनीपत में अध्ययन के काम को मंजूरी दे दी है। अगले साल अगस्त तक यह अध्ययन पूरा होगा। वहीं, फरीदाबाद में एक अध्ययन हो चुका है। उसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के चेयरमैन राघवेंद्र राव ने बताया कि प्रदूषण के स्रोतों को जानने के लिए एक विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है। इस बार हरियाणा में पराली बहुत कम जली है। फिर हम प्रदूषण झेल रहे हैं। शुरुआती चरण में कह सकते हैं कि मौसम की बदली परिस्थितियों की वजह से शहरों का अपना भी प्रदूषण हैं।
यह अध्ययन वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोतों के बारे में जानकारी देगा। अध्ययन वाहन और गैर-वाहन प्रदूषण स्रोतों के साथ जमीनी स्तर की सांद्रता की पहचान करने पर केंद्रित होगा। हमें इससे यह भी पता चल सकेगा कि किस वक्त प्रदूषण रहता है।
किस समय बढ़ता है। अध्ययन में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक विस्तृत रोड मैप भी बनेगा। उसके आधार अल्पकालिक व दीर्घकालिक उपाय बनाए जाएंगे। इस अध्ययन का परिणाम आने के बाद दूसरे शहरों में भी इस पर काम करवाया जाएगा।