पद्मश्री बंगारू आदिगलर का 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। आदिगलर का पार्थिव शरीर अस्पताल से चेंगलपट्टू में उनके आवास पर पहुंच चुका है। पद्मश्री बंगारू के निधन की खबर सुनने के बाद उनके आवास पर भारी भीड़ जमा हो गई है।
जहां मेलमारुवथुर अधिपराशक्ति सिद्ध पीठम के संस्थापक शव अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है
पद्मश्री आदिलगर का दौरा पड़ने से आदिलगर की हालत खराब हो गई थी। जिसके चलते उनकी हालत खराब हुई थी। अरुलथिरु बंगारू आदिगलर एक आध्यत्मिक गुरु थे। जिनके अनुयायी उन्हें अधिपराशक्ति का अवतार मानते थे। माना जाता था कि वे एक पूर्ण अवतार यानी अधिपराशक्ति अवतार के सभी 16 गुणों को धारण करने वाले थे।
आदिलगर के अनुयायों की एक बड़ी संख्या थी। उनका जन्म 3 मार्च, 1941 को हुआ था। वे एक दक्षिण भारतीय आध्यात्मिक गुरु थे। आदिलगर आदिपराशक्ति चैरिटेबल मेडिकल एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट के अध्यक्ष थे। अधिपराशक्ति मंदिर के भक्त और उनके अनुयायी उन्हें ‘अम्मा’ कहते थे। मानवता की सेवा के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।
प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता ‘अम्मा’ बंगारू आदिगलर के निधन पर सीएम एम.के. स्टालिन समेत कई कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। सीएम स्टालिन ने घोषणा की है कि राज्य उनके अंतिम संस्कार के दौरान उन्हें सम्मान देगा। सीएम इसके लिए शुक्रवार को मेलमारुवथुर जाएंगे। सीएम अलावा आदिलगर के निधन पर अअन्नाद्रमुक नेता एडप्पादी पलानीस्वामी, पीएमके अध्यक्ष डॉ.अंबुमणि रामदास, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के.अन्नामलाई, एएमएमके महासचिव टीटीवी दिनाकरण समेत कई दिग्गजों ने शोक व्यक्त किया है।
सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि आदिगलर ने अधिपराशक्ति पीठम की स्थापना के अलावा एक अस्पताल और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की। उन्होंने जनता को कई प्रकार से सामाजित सेवाएं दीं। उन्होंने अपने मंदिर में दर्शन को लेकर क्रांतिकारी कदम उठाए। जिसके तहत महिलाओं को गर्भगृह में प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति दी गई। सीएम स्टालिन ने आगे कहा, “आदिगलर का निधन उनके भक्तों के लिए एक बड़ी क्षति है। मैं उनके शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।”