पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के तमाम दावे इसके धुएं में ही हवा होते नजर आ रहे हैं। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश तीनों ही राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आलम यह है कि 2022 का रिकार्ड टूट चुका है। वहीं, वर्ष 2021 के आंकड़ों की बराबरी भी कर ली गई है।
पराली का धुआं एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर की हवा को खराब करता हुआ दिख रहा है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हर साल धान की फसल के बाद उसके बचे हुए हिस्से को खेत में ही जला देने का चलन रहा है। खासतौर पर पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलाई जाने वाली पराली से उठने वाला धुआं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दम घोंटता रहा है। पराली को जलाने से रोकने के लिए किए गए तमाम उपाय भी अभी तक नाकाफी साबित हुए हैं। इस साल भी 15 सितंबर से पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की जाने लगी थीं। 30 सितंबर तक ऐसी 322 घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) की रियल टाइम मानिटरिंग के मुताबिक अभी तक सर्वाधिक 214 मामले पंजाब में रिकार्ड हुए हैं। 75 मामलों के साथ हरियाणा दूसरे जबकि 33 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है। पराली जलाने के मामलों में इस माह और ज्यादा तेजी आने के आसार हैं।