देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का बृहस्पतिवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। उनकी एक बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक हैं। मधुरा स्वामीनाथन और नित्या राव उनकी अन्य दो बेटियां हैं। उनकी पत्नी मीना स्वामीनाथन का पहले ही निधन हो चुका है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने कहा कि स्वामीनाथन का अंतिम संस्कार पुलिस सम्मान के साथ किया जाएगा। एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के एक प्रवक्ता के मुताबिक, प्रख्यात वैज्ञानिक का अंतिम संस्कार यहां 30 सितंबर को किया जाएगा। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के कट्टर पैरोकार स्वामीनाथन के पथप्रवर्तक कार्य ने 1960 के दशक के दौरान अकाल के खतरे को रोक दिया था।
स्वामीनाथन पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित थे। भारत की हरित क्रांति में नेतृत्व के लिए उन्हें पहले विश्व खाद्य पुरस्कार और प्रतिष्ठित रेमन मैगसायसाय पुरस्कार सहित कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
स्वामीनाथन का कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था। उन्होंने आज यहां अपने आवास पर पूर्वाह्न सवा 11 बजे अंतिम सांस ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के प्रति सेवाओं के लिए स्वामीनाथन की प्रशंसा करते हुए उनके निधन पर संवेदना जतायी।
मुर्मू ने कहा कि स्वामीनाथन ने अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ी है जो दुनिया को मानवता के लिए एक सुरक्षित और भूख-मुक्त भविष्य की ओर ले जाने में मार्गदर्शक का काम करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।