प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ऋण संकट दुनिया, खासकर विकासशील देशों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत आगामी जी20 शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगा, ताकि इस संबंध में कर्ज से बोझ से दबी कम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं की मदद के लिए एक ठोस रूपरेखा तैयार की जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले सप्ताह पीटीआई-भाषा को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी20 ने ऋण कमजोरियों से पैदा होने वाली वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर काफी जोर दिया है। मोदी ने कहा, ”ऋण संकट वास्तव में दुनिया, खासकर विकासशील देशों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। विभिन्न देशों के नागरिक इस संबंध में सरकारों द्वारा लिए जा रहे फैसलों का अनुसरण कर रहे हैं। कुछ सराहनीय परिणाम भी आए हैं।”
उन्होंने कहा, ”सबसे पहली बात यह है कि जो देश ऋण संकट से गुजर रहे हैं या इससे गुजर चुके हैं, उन्होंने वित्तीय अनुशासन को अधिक महत्व देना शुरू कर दिया है।” मोदी ने कहा, ”दूसरा, जिन्होंने कुछ देशों को ऋण संकट के कारण कठिन समय का सामना करते देखा है, वे उन्हीं गलत कदमों से बचने के लिए सचेत हैं।” भारत ने अपनी जी20 अध्यक्षता के तहत बढ़ती ऋण समस्याओं का सामना करने वाले देशों की मदद के लिए ऋण पुनर्गठन पर लगातार जोर दिया है। चीन, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी ऋणदाता माना जाता है, वह ऋण पुनर्गठन के कुछ प्रस्तावों पर सहमत नहीं है।
हालांकि, बड़ी संख्या में जी20 सदस्य देश कम आय वाले देशों को संकट से मुकाबला करने में मदद की वकालत कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 70 से अधिक कम आय वाले देशों पर कुल 326 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज है। मोदी ने कहा, ”जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने ऋण समाधान में अच्छी प्रगति को स्वीकार किया है।” उन्होंने कहा, ”हम कठिन समय के दौरान अपने मूल्यवान पड़ोसी श्रीलंका की जरूरतों के प्रति भी काफी संवेदनशील रहे हैं।”
उन्होंने कहा, ”वैश्विक ऋण पुनर्गठन के प्रयासों में तेजी लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और जी20 अध्यक्षता की एक संयुक्त पहल – ‘ग्लोबल सॉवरेन डेट राउंडटेबल’ की शुरुआत इस साल की गई थी। इससे प्रमुख हितधारकों के बीच संवाद मजबूत होगा और प्रभावी तरीके से ऋण संकट से निपटने में मदद मिलेगी।” मोदी ने उम्मीद जताई कि इस समस्या पर विभिन्न देशों के लोगों के बीच बढ़ती जागरूकता यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसी स्थिति बार-बार न पैदा हो।