Friday , 20 September 2024

One Nation One Election: एक साथ चुनाव करवाने के लिए क्या करना होगा? समझें ये प्वाइंट्स

केंद्र में सत्ताधारी नरेंद्र मोदी सरकार ने जब से 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र बुलाया है, अटकलों की लाइन लगी हुई है। वजह ये है कि मानसून सत्र के खत्म हुए ज्यादा समय नहीं गुजरे हैं। कयासों में सबसे अधिक संभावना ‘एक देश, एक चुनाव’ की लगाई जा रही है।

इस साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव करवाए जाने हैं। 2024 के अप्रैल-मई में 18वीं लोकसभा के चुनाव का समय निर्धारित है। विशेष सत्र के आयोजन के बाद से यह कहा जा रहा कि सरकार ‘एक देश, एक चुनाव’ की तैयारी कर रही है, जिसकी वकालत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी गंभीरता से करते रहे हैं।

एक देश-एक चुनाव के लिए क्या करना होगा?

लेकिन, सवाल है कि क्या यह फैसला लेना और उसपर तुरंत अमल कर पाना इतना आसान है? हम यहां 10 प्वाइंट में समझने की कोशिश करते हैं कि इस फैसले पर अमल के लिए क्या करना होगा?

संविधान में संशोधन

देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के फैसले से पहले कम से कम संविधान के 5 अनुच्छेदों में संशोधन की जरूरत पड़ेगी।

  • अनुच्छेद 83: संसद के कार्यकाल से संबंधित।
  • अनुच्छेद 85: लोकसभा भंग करने से संबंधित।
  • अनुच्छेद 172: विधानसभाओं के कार्यकाल से संबंधित।
  • अनुच्छेद 174: विधानसभाओं को भंग करने से संबंधित।
  • अनुच्छेद 356: राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से संबंधित।
  • इसके लिए सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनाने की आवश्यता पड़ेगी।
  • देश में शासन के लिए संघीय ढांचे की व्यवस्था है। इस वजह से सभी राज्य सरकारों की सहमति भी अनिवार्य होगी।
  • एक साथ चुनाव करवाने के लिए विधायिका का कार्यकाल या तो बढ़ाना पड़ेगा या फिर कम करना होगा। इसे संविधान के मूल ढांचे वाली व्यवस्था से जोड़कर देखना पड़ेगा कि कहीं उस पर असर न पड़ रहा हो।
  • देश में इस समय करीब 10 लाख मतदान केंद्र हैं। एक साथ चुनाव करवाने का मतलब है कि ईवीएम और वीवीपीएटी की संख्या दोगुनी करनी पड़ेगी।
  • अभी की व्यवस्था के हिसाब से 40% बैलटिंग यूनिट (बीयू) और 20% कंट्रोल यूनिट (सीयू) रिजर्व रखी जाती है। यानी एक साथ चुनाव करवाने पर 28 लाख बैलटिंग यूनिट (बीयू ) और 24 लाख कंट्रोल यूनिट (सीयू) की जरूरत पड़ेगी। अभी जो कीमतें तय हैं, उसके अनुसार एक बीयू 8,000 रुपए और एक सीयू 9,500 रुपए की पड़ती है। मतलब, इनकी अतिरिक्त खरीदारी के लिए करीब 3,570.90 करोड़ की लागत आ सकती है।
  • इसी तरह 10 लाख मतदान केंद्रों के लिए 25 लाख वीवीपीएटी की भी जरूरत होगी। क्योंकि, 25% रिजर्व में रखने का प्रावधान है। एक यूनिट की कीमत 22,853 रुपए अनुमानित रखी गई है। इसपर करीब 5713.25 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान है।
  • इन मशीनों की उम्र करीब 15 साल अनुमानित रहती है। यानी एक मशीन ज्यादा से ज्यादा तीन या चार चुनाव में इस्तेमाल हो सकती हैं। अगर अनुमान में ही मान लें तो हर 15 साल बाद देश में नई मशीनों की खरीद पर एक बड़ा आर्थिक बोझ आ सकता है।
  • यानी एक साथ चुनाव करवाने के लिए सिर्फ ईवीएम और वीवीपीएटी के इंतजाम के लिए लगभग 9,284 की अनुमानित रकम चाहिए।

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