मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में भारी बारिश से हुए नुकसान के दृष्टिगत राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश को ‘प्राकृतिक आपदा रप्रभावित क्षेत्र’ घोषित किया है। उन्होंने कहा कि विगत दिनों से जारी भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से प्रदेश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है।
वहीं जानकारों का कहना है कि राज्य या राष्ट्रीय आपदा प्रभावित राज्य घोषित करने का कोई वैधानिक अर्थ नहीं है। लेकिन, सीएम के इस कदम से केंद्र पर राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का दबाव बन सकता है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि भारी वर्षा, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से प्रदेश में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। राज्य में पेयजल, विद्युत आपूर्ति व्यवस्था व सड़कों सहित अन्य संसाधनों को भी भारी क्षति पहुंची है। अभी तक राज्य में 12 हजार से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए हैं।
ॉमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कृषि और बागवानी को भी भारी नुकसान हुआ है। राज्य में संचार व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। प्रदेश में जनजीवन अस्तव्यस्त हुआ है और व्यावसायिक गतिविधियां भी आपदा से अछूती नहीं रही हैं। प्रदेश के कई क्षेत्रों में लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। खतरे के दृष्टिगत बहुत से लोगों को उनके घरों से सुरक्षित निकालकर दूसरे स्थानों पर पहुंचाया गया है।
मानसून से संबंधित व अन्य दुर्घटनाओं में 330 लोगों की जान चली गई हैं। प्रदेश में 10 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का नुकसान आंका गया है। प्रदेश में कृषि और बागवानी को भी भारी नुकसान हुआ है। संचार व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। जनजीवन अस्त-व्यस्त है और व्यावसायिक गतिविधियां भी आपदा से अछूती नहीं रही हैं। कई क्षेत्रों में लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।
सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार राहत, बचाव एवं पुनर्वास के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है। आपदा प्रभावितों को हरसंभव मदद सुनिश्चित की जा रही है। मौसम के अनुकूल होने पर संबंधित जिलों और विभागों द्वारा संपत्ति, पशुधन, आधारभूत संरचना और अन्य नुकसान का आकलन कर पुनर्निर्माण और उपयुक्त कार्रवाई के लिए प्रदेश सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।