Friday , 20 September 2024

शिमला मंदिर हादसे का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, दूसरे दिन मलबे से 4 लोगों के श*व बरामद

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के उपनगर समरहिल में भूस्खलन से ध्वस्त हुए शिव बावड़ी मंदिर के मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए मंगलवार को दूसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन चला। दूसरे दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन में चार लोगों के शव बरामद हुए हैं। पुलिस प्रशासन व स्थानीय लोगों के साथ एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमें बचाव अभियान में जुटी हैं।

शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने बताया कि दूसरे दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान चार लोगों के शव बरामद हुए हैं। इनमें दो शव महिला और दो पुरुष के हैं। एक शव की क्षत-विक्षत अवस्था में मिलने से शिनाख्त नहीं हो पाई है। अन्य तीन मृतकों की पहचान प्रोफेसर मानसी, रेखा और मंदिर के पुजारी राजेश सुमन के तौर पर हुई है। उन्होंने कहा कि अभी तक घटनास्थल से कुल 12 शव बरामद किए गए हैं। लगभग एक दर्जन लोगों के मलबे में लापता होने की आशंका है। मंगलवार को बारिश न होने से रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आई है।

काल की ग्रास बनी मानसी हिमाचल यूनिवर्सिटी में गणित की प्रोफेसर थी। मानसी सिरमौर जिला के पांवटा साहिब की मूल निवासी थी। हिमाचल यूनिवर्सिटी से पहले वह कॉलेज कैडर में नाहन कॉलेज में तैनात रही। मानसी के पति हरीश वर्मा की भी भूस्खलन में मौत हुई है। हरीश का शव कल बरामद कर लिया गया था। ये दम्पति समरहिल के एमआई रूम में रह रहे थे। सोमवार को जल चढ़ाने के लिए दम्पति मंदिर पहुंचे थे कि भूस्खलन ने इन्हें मौत की नींद सुला दिया।

बचाव कर्मियों ने प्रोफेसर रेखा का शव बरामद किया है। बिलासपुर निवासी रेखा के पति पीएल शर्मा भी हिमाचल यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर हैं। वह गणित के विभागाध्यक्ष भी हैं। रेखा के पति और बेटे भी हादसे में लापता हैं। इस हादसे ने हिमाचल यूनिवर्सिटी से दो होनहार प्रोफेसर छीन लिए हैं। घटनास्थल से बरामद एक पुरूष के शव की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है।

बता दें, सोमवार की सुबह करीब सवा सात बजे भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में आने से शिव बावड़ी मंदिर ध्वस्त हो गया था। भूस्खलन इतना ख़ौफ़नाक था कि मंदिर का नामो निशान ही मिट गया। मंदिर में मौजूद दो दर्जन से अधिक लोगों को बच निकलने का समय तक नहीं मिला। करीब 150 साल पुराना यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। श्रावण के महीने में मंदिर में शिव भक्तों का तांता लगा रहता था।

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