पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के मद्देनजर विध्वंस की कवायद आज रोक दी गई। उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद संबंधित अधिकारियों को बुलडोजर कार्रवाई रोकने को कहा। हरियाणा में सांप्रदायिक झड़पों में छह लोगों की जान जाने, संपत्ति का भारी नुकसान होने और नूंह और गुरुग्राम में दहशत फैलने के एक हफ्ते बाद अदालत ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।
विध्वंस के पिछले चार दिनों में 350 से अधिक झोपड़ियां और 50 बिल्डिंगें ध्वस्त कर दी गईं। हालांकि इस बीच विध्वंस अभियान की आलोचना होती रही, विपक्षी दलों के राजनेताओं ने आरोप लगाया कि इसमें केवल मुसलमानों को निशाना बनाया। साथ ही, जिनके घर तोड़े गए उनमें से कई लोगों ने दावा किया था कि, उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी।
हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने कहा था कि वे अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और किसी भी व्यक्ति को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। खडगटा ने रविवार को कहा, “अवैध निर्माण के खिलाफ विध्वंस अभियान चल रहा है और यह जारी रहेगा। किसी को निशाना बनाने के लिए कार्रवाई नहीं की जा रही है। हमारा मकसद शांति स्थापित करना है।”
विध्वंस अभियान को लेकर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार पर निशाना साधने वालों में हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजिलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि, सामूहिक दंड देने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना एक समुदाय (मुसलमानों) की इमारतों, घरों और चिकित्सा दुकानों और झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए। खट्टर सरकार ने कानून न्यायालयों के अधिकारों को छीन लिया है, विश्वास उन लोगों को दिया जा रहा है जो वैचारिक रूप से बीजेपी/संघ के करीब हैं।