मणिपुर में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। ताजा मामला इंफाल से सामने आया है। यहां महिला प्रदर्शनकारियों द्वारा घारी इलाके में एक मुख्य सड़क के दोनों किनारों का चक्का जाम कर दिया गया। विरोध प्रदर्शन के दौरान महिला प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए, जिसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए मणिपुर सशस्त्र पुलिस, सेना और त्वरित कार्रवाई बटालियन मौके पर पहुंची। एक ऑपरेशन में उन्होंने आग बुझाई और स्थिति को नियंत्रित किया। प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया गया। तो ऐसे बिगड़ते गए मणिपुर के हालात…
राज्य सामान्य स्थिति में लौटने की कोशिश कर रहा था, तब 4 मई का एक वीडियो 19 जुलाई को सामने आया जिसमें समुदाय की दो महिलाओं को दूसरे पक्ष के पुरुषों के एक समूह द्वारा निवस्त्र सड़क पर घुमाया। इस वीडियो ने देश भर में आक्रोश पैदा कर दिया है और कांग्रेस ने मांग की है कि हिंसा प्रभावित राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए। घटना के संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
आपको बता दें कि बीती 3 मई से इंफाल घाटी में केंद्रित बहुसंख्यक मैतेई और पहाड़ियों पर कब्जा करने वाले कुकी समुदाय के बीच जातीय झड़प हो रही हैं। हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। हिंसा की शुरुआत मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हुई थी।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है। वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों से आगजनी, लूट, हिंसा और भीड़ जमा होने की कई घटनाएं सामने आई हैं।