Friday , 20 September 2024

संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक के आह्वान पर 3 अप्रैल को सौंपा जाएगा ज्ञापन-लखविंद्र सिंह औलख !

हरियाणा डेस्क :- सिरसा में बेमौसमी बारिश, तेज हवाओं व ओलावृष्टि के कारण हरियाणा-पंजाब में गेहूं, सरसों व अन्य फसलों को काफी नुकसान हुआ है। किसानों द्वारा 6 महीने तक दिन-रात की गई मेहनत पर पानी फिर गया है। इस विषय पर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के हरियाणा-पंजाब चैप्टर की ऑनलाइन बैठक हुई। जिसमें 20 से अधिक संगठनों ने भाग लिया। बैठक में तय किया गया कि आगामी 3 अप्रैल सोमवार को हरियाणा-पंजाब में सभी जिला मुख्यालयों पर किसान बड़ी संख्या में इकट्ठे होकर ज्ञापन देंगे। इसी कड़ी में सिरसा में भी भारतीय किसान एकता की अध्यक्षता में ज्ञापन सौंपा जाएगा। शनिवार को बीकेई टीम ने अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख की अध्यक्षता में गांव संतनगर, दलीप नगर, ढाणी अहली, ढुडियांवाली सहित कई गांवों में खराब हुई फसलों का निरीक्षण किया गया।

औलख ने कहा कि सरकार ने ओलावृष्टि से हुए नुकसान के लिए तो पोर्टल खोल दिए है। लेकिन कई स्थानों पर बरसात से भी फसलें खराब हुई है, इसलिए दूसरे पोर्टल को भी खोला जाए, ताकि किसानों के नुकसान की भरपाई हो सके। उन्होंने जिलेभर के किसानों से आह्वान किया कि वे सोमवार 3 अप्रैल को सुबह 11 बजे अधिक से अधिक संख्या में लघु सचिवालय पहुंचें। आज ऑनलाइन बैठक में मुख्य तौर पर जगजीत सिंह दल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा, देवेंद्र सिंह भंगू, इंदरजीत सिंह कोटबुढा, जरनैल सिंह चहल, लखविंदर सिंह सिरसा, अभिमन्यु कोहाड़, गुरदास सिंह, सेवा सिंह आर्य, आत्माराम झोरड़, सुखदेव सिंह भोजराज, रघबीर सिंह ढिल्लो शामिल हुए। अधिकारियों द्वारा किसानों के खेतों में मौके पर जाकर स्पेशल गिरदावरी करवा के जल्द से जल्द किसानों के लिए मुआवजे का ऐलान सरकार किया जाए।

फसलों में भारी नुकसान के मद्देनजर आगामी 6 महीनों तक किसानों के लिए सभी प्रकार की किश्तों, ऋणों के भुगतान को बिना ब्याज के स्थगित किया जाए। बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि से फसलों में हुए नुकसान के चलते किसानों को मंडियों में नमी व क्वालिटी की शर्तों में रियायत दी जाए। रबी की फसलों में भारी नुकसान के चलते किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हुआ है और किसानों को आगामी खरीफ की फसलों की बुआई के लिए आर्थिक संसाधनों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए किसानों को खरीफ सीजन की बुआई के लिए बीज-खाद पर छूट दी जाए। किसानों के साथ-साथ खेत मजदूरों को भी सरकार मुआवजा दे, क्योंकि वह भी इन फसलों पर ही निर्भर रहते हंै। फसलों की बर्बादी से उनके व उनके परिवार के खाने-पीने के भी लाले पड़ गए हैं l

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