हरियाणा डेस्क:- झज्जर, मार्च 2024 यानी इसी महीने के अंत तक हरियाणा में 400 नई इलेक्ट्रॉनिक बसें सड़कों पर उतरने जा रही हैं। यह बसें हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र में चलाई जाएंगी। नवंबर 2022 में प्रदेश सरकार ने 1000 इलेक्ट्रॉनिक बसों का आर्डर दिया था। सितंबर 2023 तक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को बाकी बची 600 बसें भी मिल जाएंगे। यह पूरी कार्रवाई हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हो रही है। यह कहना है हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेट्री आईएएस प्रदीप कुमार का। प्रदीप कुमार बहादुरगढ़ में आयोजित ईट भट्ठों से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों पर आयोजित एक सेमिनार में शिरकत करने पहुंचे थे। यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेट्री आईएएस प्रदीप कुमार ने बताया कि इस महीने के अंत तक 400 नई इलेक्ट्रॉनिक बसें हरियाणा की सड़कों दौड़ने लगेंगी और सितंबर 2023 तक हरियाणा प्रदेश के एनसीआर क्षेत्र में एक हजार बसें सड़कों पर उतर जाएंगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए तमाम तरह के प्रयास कर रही है। इसी क्रम में आने वाले समय में गुड़गांव और फरीदाबाद की सड़कों पर दौड़ रहे पेट्रोल और डीजल से चलने वाले तमाम ऑटो रिक्शा का भी इलेक्ट्रिफिकेशन किया जाएगा। जिससे बढ़ते प्रदूषण पर रोक लग सकेगी।
इस कार्यक्रम में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव भी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने पहुंचे थे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि ईट भट्टों पर कोयले के इस्तेमाल पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। लेकिन हरियाणा के झज्जर जिले में प्रदेश का एक चौथाई ईटों का उत्पादन होता है। यह के ईट भट्ठा संचालक ईटों के निर्माण में कोयले के एकदम प्रतिबंध लगाने से परेशान हैं। ऐसे में ईट भट्ठा संचालकों ने ईटों के निर्माण के लिए कोयले के इस्तेमाल की इजाजत मांगी है। मगर केंद्र सरकार ने इस पर पूर्णता प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसे में कोयले के अन्य विकल्पों के बारे में ईट भट्ठा संचालकों को अवगत करवाया गया है। इतना ही नहीं पी राघवेंद्र राव ने एक कमेटी का भी गठन किया है। जो ईट भट्ठों पर कोयले के इस्तेमाल संबंधी रिपोर्ट बनाएगी। प्रदेश सरकार बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए काफी कदम उठा रही है। केंद्र सरकार भी समय-समय पर गाइडलाइंस जारी करती रहती है। तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में वाहनों, ईट भट्ठों और तमाम तरह की फैक्ट्रियों में पारंपरिक इंधन पर पूर्णता रोक लगाने और ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्त्रोतों पर विचार करने की आवश्यकता है। तभी जाकर आने वाली पीढ़ियां साफ और स्वच्छ हवा में सांस ले सकेंगी।