चंडीगढ़\ नेश्नल:- पंजाब में नई सरकार को आए हुए अभी दो महीना ही बीता है कि किसानों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है। बीते दिनों मंगलवार को नाराज किसानों ने चंडीगढ़ की ओर कूच तो किया था लेकिन सीमा पर ही उन्हें रोक लिया गया।
चंडीगढ़- मोहाली सीमा पर डेरा डाले किसान
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अब किसानों ने चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर अपना डेरा डाल दिया है। बता दें कि किसान यहां पर खाली हाथ नहीं आए थे। बल्कि अपने साथ तो वे कूलर व इनवर्टर की व्यवस्था भी लाए थे। यहां का माहौल बिल्कुल सिंघु बॉर्डर जैसा दिखने लगा है।
ट्रैक्टर-ट्रालियों पर लाए लंगर का सामान
किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों पर लंगर का सारा सामान लेकर पहुंचे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि बुधवार सुबह तक उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करेंगे। फिर चाहे लाठी खानी पड़े या बैरिकेड तोड़ना पड़े। चंडीगढ़ सीमा पर गांवों से ट्रैक्टर-ट्रालियां व अन्य सामान पहुंच गया।
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सड़क पर बिछाए गद्दे और बिस्तरे!
खेतों के राजाओं ने सड़क पर गद्दे बिछाकर अपने बिस्तर लगा दिए। साथ ही हवा के लिए पंखे और कूलर लग गए। इतना ही नहीं, दिल्ली संघर्ष में शामिल बुजुर्ग अपनी कहानियां तक सुनाते देखे गए। किसान संघर्ष के लिए पूरी तैयारी से आए हैं। पक्का मोर्चा लगाते ही उन्होंने टेंट लगा दिए हैं।
कूलर और लाइट की भी व्यवस्था
इसके अलावा कुछ किसान गर्मी से राहत के लिए अपनी ट्रालियों में कूलर और लाइट के लिए इनवर्टर लाए हैं। दिल्ली संघर्ष के बाद किसान भी काफी मजबूत हो गए हैं। लोकल संस्थाएं उनको सामान आदि मुहैया करवाने में जुट गई हैं। किसानों का कहना है कि वह जंग जीतकर ही वापस जाएंगे।
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आखिरकार क्या है किसानों की मांगे?
- गेहूं की पैदावार कम होने पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस।
- धान की बुवाई के लिए 10 जून से पूरे पंजाब में निर्विघ्न बिजली आपूर्ति।
- मूंग, मक्का व बासमती की एमएसपी पर खरीद की अधिसूचना जारी हो। बासमती का एमएसपी 4500 रुपये करें।
- पंचायती जमीनों पर कब्जा किए किसानों को न हटाया जाए।
- सहकारी बैंकों व अन्य संस्थाओं द्वारा कर्जे पर वारंट और कुर्की बंद हो।
- किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ किए जाएं।