पंजाब डेस्क: पंजाब में सत्ता में आने के 15 दिन बाद ही आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने चंडीगढ़ पर दावा पेश कर दिया है। इसमें चंडीगढ़ को पंजाब का हिस्सा बताया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस दावे पर हिमाचल सरकार ने साफ कर दिया है कि वह चंडीगढ़ में अपने 7.19 प्रतिशत जमीन के हक को नहीं छोड़ेगी। इससे आगे बढ़ते हुए भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में 4250 करोड़ के एरियर को मांगा है।
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 में पंजाब, हरियाणा व हिमाचल की जनसंख्या, संसाधन और विकास को आधार मानकर हिमाचल को 7.19 प्रतिशत हिस्सा देने का निर्णय लिया गया था। हालत यह कि पीजीआइ चंडीगढ़ में 1992 तक हिमाचल सरकार का अधिकारी नहीं था। इसी तरह से बीबीएमबी की परियोजनाओं में प्रदेश के लोगों को रोजगार का लिखित प्रविधान नहीं था। परियोजनाएं हिमाचल में हैं, मगर इनमें प्रदेश के अधिकारियों को शामिल नहीं किया जाता था।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश
27 सितंबर, 2011 को सर्वोच्च न्यायालय ने बीबीएमबी को निर्णय दिया था कि हिमाचल को बढ़े हुए हिस्से का एरियर भुगतान करे। न्यायालय ने बीबीएमबी की तीन जल विद्युत परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी को 1966 से 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.19 प्रतिशत कर दिया था। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि कई दशक से हिस्से का भुगतान नहीं हुआ है। इसी आधार पर हिमाचल सरकार ने 4250 करोड़ के एरियर का दावा किया था। अभी तक इसका भुगतान नहीं हुआ। प्रदेश सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में इस संबंध में पक्ष रखा गया है।