नेशनल डेस्क- कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन संक्रमण का खतरा दुनिया भर में अब लगातार बढ़ रहा है। बता दें, कोरोना वायरस का ये संक्रमण लोगों में काफी तेजी से फैलता है और जल्द ही लोगों को अपना शीकार बना लेता है जिसके फलस्वरुप कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट आने से पहले ही ये वायरस कही हद तक इंसान को खत्म कर देता है और कई लोग रिकवरी नही कर पाने के कारण जान गवां देते है। लेकिन, इस बीच कोरिया के वैज्ञानिकों ने ओमिक्रोन टेस्टिंग के लिए एक नई तकनीक विकसित की है, जो इस वेरिएंट का काफी तेजी से पता लगा सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि, मॉलिक्यूलर डायग्नोसिस टेस्ट के जरिए महज 20 मिनट में ओमिक्रोन वेरिएंट का पता लगाया जा सकता है। अभी ओमिक्रोन का पता लगाने में काफी वक्त लगता है। मॉलिक्यूलर डायग्नोसिस टेस्ट तकनीक के आने के बाद इस वेरिएंट के मरीजों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। कोरियाई शोधकर्ताओं ने आणविक निदान तकनीक विकसित की है जो ओमिक्रोन वेरिएंट का काफी कम वक्त में पता लगा सकती है। बताया जा रहा है कि प्रौद्योगिकी विकास वर्तमान में पूरा हो चुका है।
केवल 20-30 मिनट में ओमिक्रोन वेरिएंट का लगेगा पता
बता दें, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर के नेतृत्व में एक शोध दल ने नई तकनीक विकसित की है जो केवल 20-30 मिनट में ओमिक्रोन वेरिएंट का पता लगा सकती है और इसके परिणाम को ऑनलाइन प्रकाशित करेगी। ओमिक्रोन वेरिएंट कोविड-19 का एक प्रकार है जिसमें स्पाइक में 26-32 म्यूटेशन होता है, जिसका उपयोग कोरोना वायरस द्वारा कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए किया जाता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, मॉलिक्यूलर डायग्नोसिस टेस्ट एकल-न्यूक्लियोटाइड आधार पर म्यूटेशन को अलग कर सकती है, इसलिए यह स्टील्थ ओमिक्रोन का पता लगा सकती है, जिसे पीसीआर परीक्षणों द्वारा पता लगाना मुश्किल है। फिलहाल कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र कोरोना वेरिएंट का पता लगाने के लिए तीन तरीकों का उपयोग कर रहा है। जिसमें कंप्लीट-जीनोम विश्लेषण, टारगेट डीएनए विश्लेषण और आरटीपीसीआर परीक्षण शामिल है।