रेवाड़ी जिले के यह गांव पिछले कई वर्षों से बंदरों के आतंक के साये में जीने को मजबूर है। इस समस्या को लेकर ग्रामीण अब तक सीएम से लेकर राष्ट्रपति तक फ़रियाद कर चुके हैं, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी।
बताया जाता है कि गांव में बनी 200 साल पुरानी खंडहर हवेली पर इन बंदरों का कब्जा है। ग्रामीण इस हवेली के मालिक को भी अपनी समस्या से अवगत करवा चुके हैं। वहीं ग्राम सरपंच भी इन खुंखार बंदरों के सामने बेबस है।
ग्रामीणों का कहना है कि इन बंदरों की संख्या करीब डेढ़ सौ से ज्यादा है। बंदरों का इतना खौफ है कि ग्रामीण अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं यही नहीं जब कोई घर से बाहर निकलता है तो पहले दरवाजे को जरा सा खोलकर देखते हैं कि कहीं बाहर बंदर तो नहीं है। महिलाएं और बच्चे तो घरों के बहार और छतों पर भी बैठने से डरते हैं।