नेशनल डेस्क- चीन हमेशा ही अपने नए-नए आविष्कारों से कुछ न कुछ करता रहता है जिसका प्रभाव उसके साथ-साथ कई देशों को भुगतने पड़ते है। चान द्वारा ऐसा ही इस बार भी कीया गया है। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग नदीं का पानी अचानक काला हो गया। इस नदी में मौजूद हजारों मछलियां मर गईं। इसको लेकर जिला मत्स्य पालन अधिकारियों का कहना है कि, पानी में कुल विघटित पदार्थों की बढ़ी हुई मात्रा के कारण इसका पानी काला हुआ है। नदी के पास मौजूद सेप्पा इलाके में रहने वाले लोगों ने चीन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। चीन में हो रहे निर्माण कार्यों की वजह से नदी का पानी दूषित हो गया जिसके कारण हजारों मछलिया मर गईं।
मौतों का कारण टीडीएस की बड़ी उपस्थिति है बताई गई जिस कारण जलीय प्रजाति पानी न तो ढंग से देख पाती हैं और न ही आसानी से सांस ले पाती हैं। एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया कि नदी में टीडीएस 6,800 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो सामान्य सीमा 300-1,200 मिलीग्राम प्रति लीटर से काफी अधिक है।
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टीडीएस में वृद्धि के लिए चीन को दोषी ठहराया
सेपा के निवासियों ने नदी में टीडीएस में वृद्धि के लिए चीन को दोषी ठहराया, आरोप लगाया कि पड़ोसी देश द्वारा निर्माण गतिविधियों के कारण पानी का रंग काला हो गया है। आपको बता दें कि पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट में सियांग नदी नवंबर 2017 में काली हो गई थी। अरुणाचल पूर्व के तत्कालीन कांग्रेस सांसद निनॉन्ग एरिंग ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनके हस्तक्षेप की मांग करते हुए दावा किया कि यह चीन में 10,000 किलोमीटर लंबी सुरंग के निर्माण का परिणाम था, जिसने सियांग से शिनजियांग प्रांत में पानी को मोड़ दिया। हालांकि चीन ने इन आरोपों का खंडन किया था।