चंडीगढ़: 8 नवंबर को हुए दर्दनाक हादसे ने बठिंडा जिले के साइंस अध्यापकों को इस कदर अंदर से झंझोड़ दिया कि उन्होंने तय कर लिया कि अब वह पराली के धुएं से होने वाले हादसों पर चुप करके नहीं बैठेंगे,साइंस के अध्यापक थे इसलिए वैज्ञानिक तकनीक को समझा और पराली का इस्तेमाल कैसे हो इसे लेकर पूरी सर्च की. 40 अध्यापकों की टीम कमर कसकर खेतों की तरफ निकल पड़ी, इन सरकारी अध्यापकों ने 9 नवंबर से की गई छुट्टी में नई मुहिम का आगाज किया जो बिना रुकावट आज भी जारी है.
यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं बठिंडा जिले के साइंस अध्यापक जोकि केवल पराली जलाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं बल्कि पराली का लदान करके गोशाला में भिजवा रहे हैं और इसका सारा खर्च भी साइंस अध्यापक ही वहन कर रहे हैं. जिला साइंस सुपरवाइजर बलजीत कौर ढिल्लों की अगुवाई में 40 साइंस टीचर्स के इस नेक प्रयास में और अध्यापक जुड़ते जा रहे हैं जिसके सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं.