नेशनल डेस्क: मंहगाई ने लोगों की कमर तोड़ के ऱख दी है। तो वहीं, अगस्त में थोक महंगाई के मोर्चे पर सरकार को फिर से झटका लगा है। अगस्त में थोक महंगाई दर 11.39 परसेंट रही है, जबकि अनुमान 10.8 परसेंट का था। इसके पिछले महीने जुलाई में थोक महंगाई दर 11.16 परसेंट थी।
आखिर क्यों बढ़ी थोक महंगाई दर?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ईंधन और बिजली की कीमतों में तेज़ी के कारण थोक महंगाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके साथ ही महंगाई की इस मार के लिए मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में आया उछाल भी जिम्मेदार हैं. तिमाही दर तिमाही आधार पर अगस्त में फ्यूल और पावर की थोक महंगाई 26.02 परसेंट से बढ़कर 26.09 परसेंट पर आ गई है।
क्या है थोक मंहगाई दर ?
होलसेल प्राइस इंडेक्स या थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं। इसकी तुलना में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आम ग्राहकों द्वारा दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होता है।
Read More Stories