Sunday , 24 November 2024

पंजाब में हिन्दू नेताओं की हत्या की वारदातें लेकिन एसजीपीसी का खालिस्तान की मांग को समर्थन

चंडीगढ,10नवम्बर। पंजाब में पिछले दो साल से हिन्दू संगठनों व अन्य गैर सिख धार्मिक संस्थानों के प्रमुखों की हत्या की वारदातें हो रही थीं और हाल में प्रदेश पुलिस ने इन हत्याओं के सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इन पांच लोगों में ब्रिटेन व इटली से सम्बन्ध रखने वाले लोग भी शामिल है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने पहली बार एक साथ चार लोगों की गिरफ्तारी पर कहा था कि हिन्दू नेताओं व अन्य गैर सिख धार्मिक संस्थानों के प्रमुखों की हत्या के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। आईएसआई इन वारदातों के जरिए प्रदेश के साम्प्रदायिक सदभाव को खराब करना चाहती है। चंडीगढ,10नवम्बर। पंजाब में पिछले दो साल से हिन्दू संगठनों व अन्य गैर सिख धार्मिक संस्थानों के प्रमुखों की हत्या की वारदातें हो रही थीं और हाल में प्रदेश पुलिस ने इन हत्याओं के सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इन पांच लोगों में ब्रिटेन व इटली से सम्बन्ध रखने वाले लोग भी शामिल है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने पहली बार एक साथ चार लोगों की गिरफ्तारी पर कहा था कि हिन्दू नेताओं व अन्य गैर सिख धार्मिक संस्थानों के प्रमुखों की हत्या के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। आईएसआई इन वारदातों के जरिए प्रदेश के साम्प्रदायिक सदभाव को खराब करना चाहती है।
बहरहाल पंजाब में अमन-चैन कायम है और केन्द्र व प्रदेश सरकार सतर्क नजर रखे हुए है। लेकिन पंजाब की राजनीति गुजरे जमाने की खालिस्तान की मांग को फिर हवा देती नजर आती है। अस्सी के दशक में खालिस्तान की मांग को लेकर शुरू हुए उग्रवाद के दौर का खात्मा करीब 25 हजार निर्दोष लोगों की जान लेकर नब्बे के दशक के अंतिम हिस्से में समाप्त हुआ और गिरफ्तारी व मुठभेडों में मारे जाने से बचे खालिस्तनी उगं्रवादी विदेश चले गए। अब पाकिस्तान,ब्रिटेन,थाईलैड,इटली,कनाडा आदि देशों से खालिस्तान की मांग उठाई जाती है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पंजाब के साम्प्रदायिक सदभाव को बिगाडने के इरादे से वारदातों की साजिश को अंजाम देती रहती है।
पाकिस्तान और आईएसआई की हरकतों के अलावा पंजाब की उदारवादी समझी जाने वाली घरेलू राजनीति भी खालिस्तान की मांग का अवसान नहीं होने देना चाहती। पंजाब के सिख धार्मिक संगठन तो इस मांग से किनारा करने को तैयार नहीं है। मसलन शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी को खालिस्तान की मांग को लेकर लगाए जाने वाले नारों पर कोई आपत्ति नहीं है। कमेटी के अध्यक्ष किरपाल सिंह बडूंगर ने हाल में अपने एक बयान में कहा कि खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाने में असंवैधानिक कुछ भी नहीं है। वे इस मामले में अदालत के एक फैसले का भी हवाला देते हैं जिसमें कि खालिस्तान समर्थक नारे लगाने को देशद्रोह नहीं माना गया।
शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष का यह बयान तो तब है जबकि इस पर उदारवादी राजनीति करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के संरक्षण वाले शिरोमणि अकाली दल का पूरा प्रभाव है। अकाली दल अभी सत्ता से बाहर है तो ऐसे बयान आना सहज ही माना जा रहा है। इस मामले में कांग्रेस के नेताओं के आरोप रहे हैं कि अकाली दल जब भी सत्ता से बाहर होता है उनके नेता पंथिक राजनीति को हवा देते हैं और उग्रवादी बयानों का सहारा लेते है। इसी कडी में एक और तथ्य यह है कि पंजाब में खालिस्तानी उग्रवादियों व गैंगस्टरों के बीच गठजोड की बात सामने आने पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने पंजाब संगठित अपराध नियंत्रण कानून बनाने का प्रस्ताव किया है। अब शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी और शिरोमणि अकाली दल दोनों ने ही इस प्रस्तावित कानून का विरोध करने का ऐलान किया है। किरपाल सिंह बडूगर कह रहे है कि इस तरह का कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा।

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