पंजाब डेस्क- पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत नवजोत सिंह सिद्धू और अमरिंदर सिंह के बीच विवाद को सुलझाने गए थे। लेकिन पंज प्यारे पर दिए बयान के बाद खुद ही घिर गए और उन्होंने माफी भी मांगी। रावत ने अपने बयान में सिद्धू और उनके चार वर्किंग प्रेसिडेंट्स की तुलना सिख धर्म के महान ‘पंज प्यारो’ से कर दी। जिसके बाद सार्वजनिक माफी मांगी।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने पंज प्यारे वाले बयान पर खेद जताया है।
नवजोत सिद्धू और उनके अध्यक्षों के लिए किया था पंज प्यारे शब्द का प्रयोग
बतादें, रावत ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू और कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद विवाद और तेज हो गया। रावत के खिलाफ विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया। बयान पर अफसोस जताते हुए कहा कि कहा कि पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई। उन्होंने कहा कि वह अपने राज्य उत्तराखंड में गुरु के घर में झाड़ू लगाकर अपनी गलती का प्रायश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की तुलना पंज प्यारों से करने का नहीं था।
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सिखों में है पंज प्यारे का महत्व
रावत के बयान को लेकर अकाली दल ने कहा कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला हरीश रावत पर दर्ज होना चाहिए। अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि मैं पंजाब सरकार से कांग्रेस के हरीश रावत के खिलाफ पीसीसी प्रमुख और उनकी टीम को पंज प्यारे कहकर सिख भावनाओं को आहत करने के लिए मामला दर्ज करने का आग्रह करता हूं। उन्हें पता होना चाहिए कि सिखों में पंज प्यारे का महत्व है, इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। उनका ये बयान मजाकिया नहीं है।