नेशनल डेस्क- कोरोना महामारी ने अभी भी पूरे देश में अपने प्रकोप को बरकरार रखा है। वहीं एससे जंग के लिए कई वैक्सीनज को तैयार किया गया है। वहीं एक अध्ययन के दौरान ये पता चला कि, कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए देश में जो आयुष-64 दवा बांटी जा रही है। सरकार इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान भी चला रही है लेकिन चिकित्सीय अध्ययन में तस्वीर कुछ और ही सामने आई है।
जोधपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और जयपुर स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद के 16 डॉक्टरों की टीम को यह दवा बेअसर मिली है। इस चिकित्सीय अध्ययन को मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में भी प्रकाशित किया गया है, जिसके मुताबिक दो अलग अलग मरीजों के समूह पर चिकित्सीय अध्ययन में आयुष 64 का कोई महत्वूपर्ण लाभ नहीं मिला है।
आयुष-64 मलेरिया के लिए जड़ी बूटियों से की गई तैयार
साल 1980 में मलेरिया के लिए जड़ी बूटियों से तैयार आयुष-64 को कोरोना वायरस के उपचार में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय ने इसके क्लिनिकल परीक्षण के परिणाम सार्वजनिक किए थे जिसमें कहा गया कि यह दवा न सिर्फ वायरस से लड़ने में सक्षम ह
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आयुष-64 का प्रभाव जानने के लिए 60 मरीजों का किया गया था चयन
जोधपुर एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के डॉ. ने बताया कि हमने आयुष-64 का प्रभाव जानने के लिए 60 मरीजों का चयन किया था। इनके दो समूह बनाए गए। एक समूह को आयुष 64 दवा दी गई जबकि दूसरे को प्लेसबो दिया गया।