नेशनल डेस्क- कोरोना वायरस के दुनियाभर में प्रसार के साथ ही प्लाज्मा थेरेपी के प्रयोग पर सवाल उठते रहे हैं। अब एक अमेरिकी स्टडी में कहा गया है कि कोरोना के गंभीर मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी का कोई असर नहीं होता है। अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा करवाए गए ट्रायल्स के नतीजों में यह बात सामने आई है।
दरअसल प्लाज्मा थेरेपी के तहत कोरोना से रिकवर हुए लोगों का ब्लड प्लाज्मा अन्य रोगियों में इस्तेमाल किया जाता है। भारत में भी इसके इस्तेमाल को लेकर चर्चा होती रही है। अब NIH ने कहा है कि इस ट्रायल को बीते फरवरी महीने में ही बंद कर दिया गया था। क्योंकि इससे गंभीर कोरोना मरीजों में कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। स्टडी का कहना है कि रिकवर व्यक्ति के शरीर से लिया गया ब्लड प्लाज्मा किसी गंभीर कोरोना रोगी के शरीर में वायरस को बढ़ने से नहीं रोक सकता है।
दूसरी लहर के दौरान प्लाज्मा थेरेपी को लेकर हुई थी चर्चा
भारत में भी दूसरी लहर के दौरान प्लाज्मा थेरेपी को लेकर काफी चर्चा हुई थी। तब प्लाज्मा की ब्लैक मार्केटिंग की खबरें भी सामने आई थीं। इसके बाद मई महीने में केंद्र सरकार ने कोरोना के उपचार के लिए क्लिनिकल कंसल्टेशन में संशोधन किया और मरीजों के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग को क्लिीनिकल मैनेजमेंट के दिशा-निर्देश से हटा दिया।
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प्लाज्मा थेरेपी को इसलिए हटाया गया था क्योंकि एक स्टडी में यह बात सामने आई थी कि प्लाज्मा थेरेपी इलाज में कारगर नहीं है। शुरुआत में यह थेरेपी इलाज का हिस्सा नहीं थी।