Sunday , 24 November 2024

103 साल के स्वतंत्रता सेनानी में युवाओं जैसा ज्जबा, कही ये बड़ी बात

नेशनल डेस्क– देश के वीर क्रांतिकारीयों ने अपना बलिदान देकर अंग्रेजों से हमे मुक्त करावाया। आज देश की 75वीं वर्षगांठ पर हम आपको एक ऐसे ही नायक से आपको रूबरू कराते हैं, जिन्होंने भारत देश को स्वतंत्रत कराने में अपना योगदान दिया। इस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने 103 साल की उम्र में भी युवाओं जैसा जोश व जज्बा है। मुरली सिंह रावत वे बताते हैं कि, वह आर्मी ट्रेनिंग स्कूल लैंसडौन में गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हो गए। तीन साल बटालियन में रहने के बाद लॉस नायक के पद पर प्रोन्नत हुए।


नेताजी के नेतृत्व में शुरू हुए संघर्ष की कहानी

लॉस नायक के पद पर प्रोन्नत होने के बाद उन्हें सिंगापुर जाने का आदेश मिला। वहां दिसंबर, 1941 में रहे। इसके बाद कैप्टन मोहन सिंह के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का गठन हुआ। मोहन सिंह और रासबिहारी बोस में मतभेद पनपने लगे तो इसी बीच नेताजी सुभाष चंद्र बोस आईएनए को संभालने के लिए जर्मनी से सिंगापुर पहुंचे। इसके बाद नेताजी के नेतृत्व में संघर्ष शुरू हुआ। उन्हें कई दिन रंगून जेल में भी रहना पड़ा।

सात साल बाद लौटे थे घर

अंग्रेजों की उनपर कड़ी निगरानी रही, लेकिन जेल से छूटने के बाद वह पानी के जहाज से कलकत्ता पहुंच गए। इस पूरी समयावधि में घर वालों को उनके जीने मरने की कोई खबर नहीं रही। सात साल बाद जब घर लौटे तो घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बतादें, 103 साल की उम्र में उन्होंने कोरोना को भी मात दी है। फिलहाल डाक्टरों की सलाह पर उन्हें होम आइसोलेट रखा गया है।

Read More Stories:

युवाओं से कही बड़ी बात

स्वतंत्रता सेनानी मुरली सिंह रावत कहते हैं कि, केंद्र और राज्य सरकार से अच्छी पेंशन मिल रही है। कोई गिला शिकवा नहीं है। वह युवाओं को संदेश देते हुए कहते हैं कि, जब भी देश को जरूरत पड़े, देश के काम आएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *