Sunday , 24 November 2024

आपकी चिंताओं से सहमत हूं परंतु पराली जलाने को रोकने के लिए मदद देना सिर्फ केंद्र के हाथ में कैपटन अमरिंदर सिंह ने केजरीवाल की अपील पर सहमति प्रकट की.

चंडीगढ़, 8 नवंबर:उत्तरी राज्यों में प्रदूषण का स्तर ख़तरनाक सीमा तक बढऩे संबंधी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चिंता से सहमति ज़ाहिर करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इस स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक हस्तक्षेप किए जाने की ज़रूरत है और पराली जलाने के संबंध में किसानों के लिए मुआवज़ा तुरंत मंज़ूर करना चाहिए।चंडीगढ़, 8 नवंबर:उत्तरी राज्यों में प्रदूषण का स्तर ख़तरनाक सीमा तक बढऩे संबंधी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चिंता से सहमति ज़ाहिर करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इस स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक हस्तक्षेप किए जाने की ज़रूरत है और पराली जलाने के संबंध में किसानों के लिए मुआवज़ा तुरंत मंज़ूर करना चाहिए।
इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए केजरीवाल की अपील के समर्थन में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के बीच किसी भी तरह का विचार विमर्श प्रभावशाली उद्देश्य पूरे नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि केवल केंद्र सरकार ही इस गंभीर विषय के समाधान के लिए समर्थ है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अंतरराज्यीय उलझनें हैं और यह कई राज्यों से संबंधित है जिस कारण केंद्र सरकार के बिना कोई भी मीटिंग सार्थक नहीं हो सकती।पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थिति की गंभीरता केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग करती है जिससे केंद्र को आगे आकर किसानों को वित्तीय सहायता मुहैया करवानी चाहिए जिससे पराली के प्रबंधन में उनकी सहायता की जा सके।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली की तरह पंजाब भी प्रदूषण से प्रभावित है जिसके परिणाम स्वरूप बहुत अधिक धुंध और प्रदूषण पैदा हो रहा है जिससे स्कूल और बहुत-से जिलों में अन्य संस्थान बंद करने और उनके समय में तबदीली करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हवा प्रदूषण बहुत अधिक होने संबंधी केजरीवाल द्वारा प्रकट की गई चिंता के संबंध में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब में स्थिति और भी गंभीर है। धुंध के कारण पिछले कुछ दिनों से अनेक  सडक़ हादसे हुए हैं जिससे बहुत से व्यक्ति मारे गए हैं और घायल हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के तुरंत हस्तक्षेप की अनुपस्थिति के कारण इस स्थिति के और गंभीर होने की शंकाप्रकट की है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इस समस्या के समाधान में देरी होने के कारण उत्तरी राज्योंं को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्ता का मुद्दा है और नरेंद्र मोदी सरकार को इस संकट के समाधान के लिए राज्यों की मदद करने के लिए तुरंत आगे आना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मामले को लगातार केंद्र सरकार के समक्ष उठाते आए हैं। उन्होंने किसानों को केंद्रीय सहायता दिए जाने की मांग को पुन: दोहराया जिससे किसानों को धान की पराली के  प्रबंधन के लिए इसको जलाने की बजाय अन्य तरीके अपनाने के योग्य बनाया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने ख़ुद केंद्र सरकार से अपील की थी कि पराली को संभालने के कारण किसानों पर पड़ते अतिरिक्त आर्थिक बोझ के एवज़ में उनको मुआवज़े के तौर पर धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया जाये।
कैप्टन अमरिदर सिंह ने कहा कि इस मामले पर पंजाब बेबस है क्योंकि इसके लिए संकट में डूबे किसानों के साथ ज़बरदस्ती या जुर्माना नहीं लगाया जा सकता जो पहले ही कजऱ्े के बोझ को हल्का करने के लिए प्रयास कर रहे हैं और उनके पास पराली को संभालने का खर्चा उठाने के लिए भी पैसा नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धान की पराली के प्रबंधन के लिए वैकल्पिक तरीकों को अपनाने संबंधी किसानों को जागरूक और उत्साहित करने के लिए प्रयत्न किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार ने कुछ किसानों को धान की पराली जलाने  से रोकने के लिए बुनियादी ढांचों की सुविधांए और अन्य रियायतें दीं हैं जिस संबंधी कुछ सप्ताह पहले राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्युूनल को  हलफनाम भी सौंपा गया। उन्होंने कहा कि समस्या के इस हद तक गंभीर हो जाने और वित्तीय बंदिशों के मद्देनजऱ राज्य सरकार और ज़ोरदार ढंग से इसमें दख़ल देने की स्थिति में नहीं है इसलिए इस संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की सहायता मांगी जा रही है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इस सीज़न में 18 मिलियन टन धान की पैदावार होने की आशा है जिससे 20 मिलियन टन पराली होगी और इस पराली का भंडारण का प्रबंध करना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं हैं। उन्होंने इस समस्या के चिरस्थायी हल की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये कहा कि केंद्र सरकार को इस तरफ़ सक्रिय होने की ज़रूरत है और इस समस्या के हल के लिए तुरंत एक प्रोग्राम बनाया जाये।

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