Sunday , 24 November 2024

8 नवंबर नोटबंदी को आप ने धोखा दिवस के तौर पर मनाया : मान,खहरा और अरोड़ा ने मोदी सरकार को तानाशाह करार देते हुए जी भर कर कोसा

चंडीगढ़, 8 नवंबर 2017 केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तानाशाही अंदाज में की नोटबन्दी के एक साल पूरा होने पर आम आदमी पार्टी (आप) ने 8 नवंबर को धोखा दिवस के तौर पर मनाते हुए कहा कि इस तुगलकी फैसले ने आर्थिक तौर पर देश और देश की जनता की कमर तोड़ दी है।

आप की तरफ से जारी संयुक्त बयान द्वारा पार्टी के सूबा प्रधान और मैंबर पार्लियामेंट भगवंत मान, विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खहरा, सह-प्रधान अमन अरोड़ा ने बताया कि पंजाब भर में 8 नवंबर को धोखा दिवस के तौर पर याद किया गया। विभिन्न स्थानों पर अर्थ व्यवस्था की अर्थी निकाली गई। नोटबन्दी की घातक मार तले आए किसानों-मजदूरों, व्यापारियों-कारोबारियों और बेरोजगारों के हक में हां का नारा मारते हुए आप नेताओं और वलंटियरों-समर्थकों ने मोदी सरकार को जी भर कर कोसा।

भगवंत मान ने कहा कि आज भाजपा गठबंधन और खुद प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी बताएं कि देश के लोग उनको किस चौंक चौराहे पर खडा करें, क्योंकि नोटबन्दी के तुगलकी फैसले ने न तो नकली करंसी पर नकेल डाली है और न ही आतंकवादी और अपराधिक तत्वों पर काबू पाया है। साउथ एशिया टैरोरिजम पोर्टल की ताजा रिपोर्ट मुताबिक इस एक साल में देश भर में 649 लोग आतंकवादी वारदातों में मारे गए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट बताती है कि बंद किये गए 500 और 1000 रुपए के नोटों वाली 99 प्रतिशत राशि वापस बैंकों में जमा हो गई है। इस के उलट 150 से अधिक आम भारतीय नागरिक एटीएम और बैंकों की लाईनों में खड़े हो अपनी जान गवा चुके हैं। अर्थ व्यवस्था में वृद्धि होने की बजाए और ज्यादा नीचले स्तर पर आ गई है। ऐसी हालातों में प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी अपने उस दावे की जवाबदेही की जिम्मेदारी कबूल करें, जो उन्होंने नोटबन्दी के तुरंत बाद कहा था कि यदि 50 दिनों में देश की अर्थ -व्यवस्था की काया-कल्प न हुई तो देश के लोग मुझे (प्रधान मंत्री) चौराहे में खडा कर जो चाहे सजा दे देना।

सुखपाल सिंह खहरा ने कहा कि नोटबन्दी का खेती सैक्टर पर घातक प्रभाव पड़ा है क्योंकि खेती क्षेत्र में किसान ज़्यादातर नकद लेन-देन पर निर्भर होता है। पंजाब में पहले ही कर्जे की मार झेल रहे किसानों और मजदूरों को नोटबन्दी ने ओर ज़्यादा निराश किया और कुछ स्थानों पर आत्म हत्याएं जैसी मन्दभागी घटनाएं भी घटीं। नोटबन्दी का सबसे अधिक नुक्सान आलू-उत्पादक किसानों को बर्दाश्त करना पड़ा है। जिनके आलू की 60 प्रतिशत फसल आज भी कोल्ड स्टोरों में पड़ी है क्योंकि देश भर के खरीददार व्यापारियों ने नोटबन्दी के चलते आर्डर ही नहीं दिए।

अमन अरोड़ा ने कहा कि पहले ही बेरोजगारी के भारी संकट का सामना कर रहे नौजवानों को नौकरियां और रोजगार मिलने की बजाए छोटी-मोटी प्राईवेट नौकरियां कर रहे लाखों कामगारों को भी नोटबन्दी की बलि चढना पढ़ा। गैर-संगठित क्षेत्रों में रोजी-रोटी कमाते 94 प्रतिशत लोगों का रोजगार पूरी तरह तबाह हो गया। बड़ी कंपनियों में नई भर्ती में 45 प्रतिशत कटौती दर्ज हुई है। दिहाड़ीदार-मजदूर वर्ग के लोगों को चोर करार दे कर लाईनों में खड़ा रखा परन्तु चंद बड़े औद्योगिक और कॉर्पोरेट घरानों की नोटबन्दी के द्वारा घर में सुविधा दी गई। अमन अरोड़ा ने कहा कि नोटबन्दी द्वारा जहां देश के सब से बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया वही मां-बहनों की ओर से सालों में जोड़ी छोटी-मोटी पूंजी को कालाधन बता दिया गया।उन्होंने कहा कि देश और देश की जनता के साथ किए धोखे को आम आदमी पार्टी ने न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश में धोखा दिवस के तौर पर मनाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *