हरियाणा डेस्क: जला हुआ राख नहीं, अमर दीप हूँ, जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ’… एक कवि की लिखी हुई ये चंद पंक्तियां समर्पित हैं गांव बिदावास के अमर शहीद दलीप सिंह को। जिन्होंने जम्मू श्रीनगर में राहत बचाव कार्य के दौरान अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिए।
भारतीय सेना के शहीद जवान दलीप सिंह का पार्थिव शरीर जब रेवाड़ी के गांव बिदावास पहुंचा, तो ग्रामीणों की आंखें बेश कनम थी लेकिन अपने शहीद बेटे की शहादत पर हर किसी को गर्व था। सबने मिलकर शहीद दलीप सिंह अमर रहे के नारे लगाए और नम आंखों से उनको श्रद्धांजलि दी।
बता दें , 34 वर्षीय दलिप सिंह भारतीय सीमा सड़क संगठन के जवान थे और वे 20 अप्रैल को जम्मू श्रीनगर हाईवे पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए थे। तभी भू-खलन के दौरान वे शहीद हो गए। शहीद दलीप सिंह अपने पीछे माता-पिता, पत्नी वह दो छोटे बच्चों को पीछे छोड़ कर गए हैं। प्रथम तहलका की टीम अपने ऐसे शहीद की शहादत पर श्रद्धांजलि देती है।