कोरोना जैसी महामारी ने बीते 9 महीनों में जीवन शैली को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। कई तरह के बदलाव तो रीति-रिवाज, परंपराओं और संस्कारों में भी आए हैं। अब इसे बेबसी कहें या फिर कोरोना का डर लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से मृतकों के परिजन उनकी अस्थियां और राख तक नहीं ले जा रहे। जबकि हिंदू रीति-रिवाज में अस्थियों को नदियों में विसर्जित करने का महत्व है। लेकिन कोरोना के चलते लोग आस्थियों को लेने तक नही जा रहे हंै। लगभग 60 से 65 लोगो की अस्थियां लॉकर में रखी है और कोई लेने नही आ रहा है।
राजधानी में कोरोना से अब तक 171 लोगों ने अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो हैं तो दूसरे जिलों के लेकिन इलाज के लिए आइजीएमसी भर्ती किए गए थे ओर अंतिम सांस अस्पताल में ही ली। सूद सभा के अध्यक्ष संजय सूद ने बताया कि मोक्ष धाम में हर रोज चार से पांच कोरोना संक्रमित लोगो के शव का दाह संस्कार किया जाता है ।
तो देखा आपने, कोरोना महामारी का डर। कोरोना के डर के चलते लोग तो अंतिम संस्कारों की रसम को निभाने तक से डरने लगे हैं। तो आप सभी से यही निवेदन हे कि आप सभी अपना ध्यान रखें ओर सुरक्षित रहें।