कोरोना महामारी के बादल धीरे धीरे छंटने लगे तो सरकार ने भी ढिलाही बरतनी शुरू कर दी और इस दौरान सरकार ने स्कूलों को खोलने का फैसला किया। प्रदेश में 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए स्कूल खोल तो दिए गए। लेकिन सरकार के यह आदेश कहीं देश के भविष्य पर ही भारी न पड़ जाएं। क्योंकि कुछ दिनों की राहत के बाद कोरोना फिर से पूरी रफ्तार से प्रदेश में गति पकड़ रहा है। ऐसे में स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए जोखिम बढ़ सकता है। बता दें कि निजी स्कूलों में कोरोना संबंधी हिदायतों की पालना भी पूरी तरह से होती नजर नहीं आ रही है। क्योकि नीजि स्कूल प्रशसान ने अपने टीचर्स के कोरोना टेस्ट तो करवाए हीं नही। बल्कि वे तो सरकारी खर्चे पर ही टीचर्स का कोरोना टेस्ट करवाना चाह रहे हैं।
अब इन हालातों में स्कूल में वाले बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए यह परेशानी बढ़ सकती है। क्योंकि अभिभावक तो अपने बच्चों की खातर तमाम हिदायतों की पालना कर रहे हैं, लेकिन स्कूल के टीचर ही इन हिदायतों को पूरा करने से बच रहे हैं। स्कूल में आने वाला कोई भी अध्यापक यदि कोरोना पॉजिटिव हुआ तो बच्चे जरूर मुसीबत में आ सकते हैं।
अब आप खुद ही सोच कर देखिए कि इस तरह की लापरवाही आपके नन्हे मुन्हों पर कहीं भारी ना पड़ जाए। प्रशासन जो स्टूडैंटस को पूरी सावधानी बरतने की सलाह देता है वो खुद ही अपने टीचर्स का कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहा। तो सबसे बड़ा सवाल तो बच्चो की सेहत को लेकर ही खड़ा होता है।