Sunday , 24 November 2024

विकास की बजाय सियासी लड़ाई का अड्डा बन गया जींद का नगर परिषद, अब विकास कैसे होगा?

जींद के नगर परिषद में सियासी खींचतान जारी है। प्रधान समर्थित दो पार्षद कर्मबीर मोना और राममेहर ठेकेदार जिनके खिलाफ कार्रवाई के लिए स्थानीय निकाय विभाग के पास फाइल गई हुई है। उसमें नगर परिषद प्रधान विरोधी पार्षदों ने प्रधान व सरकार के इशारे पर जान बूझकर कार्रवाई में देरी के आरोप लगाए हैं। बीते वीरवार को 13 पार्षदों ने एक निजी होटल में मीटिंग की। मीटिंग के दौरान पार्षद जिले सिंह जागलान, प्रवीन बेनिवाल, पूर्व प्रधान विनोद आसरी व अन्य पार्षदों ने कहा कि पार्षद राममेहर ने जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है। जिसकी जांच हो चुकी है और जिला नगर आयुक्त उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट निदेशक को भेज चुके हैं। लेकिन अभी तक उनकी सदस्यता रद नहीं की गई। जबकि जनवरी में नरवाना में पार्षद कृष्ण मोर के खिलाफ भी इसी तरह के आरोप थे। उनकी सदस्यता तुरंत खत्म कर दी गई। 

वहीं वार्ड पांच के पार्षद कर्मबीर मोना पर आरोप है कि पीएमएवाई के तहत गलत तरीके से खुद लाभ लिया और अपने भाई को भी लाभ दिलाया। जबकि एक पार्षद इसका लाभ नहीं ले सकता। उनके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए निदेशक को रिपोर्ट भेजी हुई है। लेकिन उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं वार्ड छह के पार्षद उप प्रधान सुभाष जांगड़ा जो एक मामले में जेल में हैं और उनका मामला विचाराधीन है। उन्हें सजा नहीं हुई है। इसके बावजूद उसकी सदस्यता रद करने के लिए प्रशासन रिपोर्ट मांग रहा है।

पार्षदों का अरोप है कि नियमानुसार हर महीने नगरपरिषद के पार्षदों की मीटिंग होनी चाहिए, लेकिन पिछले लंबे समय से कोई मीटिंग नहीं हुई है। वहीं मीटिंग नहीं होने के कारण विकास कार्य ठप पड़े हैं। उनकी सुनवाई नहीं होने पर पार्षदों ने आंदोलन करने की भी चेतावनी दी।

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