एडस जैसी घातक बीमारी अब तक जहां सिर्फ को इसंान को ही प्रभावित करती थी तो वहीं अब ये बिमारी कुत्तों को भी शिकार बना रही है और सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर कुत्तों को समय पर एड्स की बीमारी का ईलाज नहीं मिला तो उनकी मौत निश्चित है। इस बात की जानकारी हिसार के लाला लाजपत राय यूनिवस्टी के लुवास के जीव विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने दी। वैज्ञानिकों की माने तो विदेशी नसल के कुत्तों में एडस की बीमारी ज्यादा फैल रही है। डा. सुखदीप वोहरा व डा. अनिल नेहरा ने लंबी रिसर्च के बाद पाया गया कि एड़स एर्लिचिया नामक परजीवी से कारण होता है ये चीचड़ से खून में फैलता है जिससे यह बीमारी अपना रुप धारण कर लेती है।
साऊथ अफ्रीका में ये बीमारी कुत्तों में ज्यादा है और अब अमेरिका व भारत मे लगातार फैल रही है। साइटिस्टों के अनुसार भारत में हर राज्य से एडस की बीमारी की शिकायते आ रही है। यह बीमारी पूरे शरीर में फैल जाती है और ब्लड में जाने के बाद कुत्ते को प्रभावित करती है। वैज्ञानिकनों के अनुसार कुत्ते में बुखार आना, खाना पीना कम कर देना, आखो ंसे कम दिखना, अनियमा हो जाना है, पेट के नीचे पाव में सूजना आना, कुत्ते का वजन कम हो जाता तथा नाक से खून निकलना तथा अंडाश्य में सूजन आना कुत्तों की एडस की बीमारी के मुख्य लक्षण है।
सांइटिस्टों ने कुत्तों की सैंपलिंग के लिए बनाया कि जांच के लिए उनके खून का सैंपल लिया जाता है। सैंपल लेने के करीब आधा घंटे बाद ही रिपोर्ट आ जाती है। हालांकि बाद में पीसीआर मशीन से भी जांच की जाती है। पीसीआर मशीन से रिजल्ट आने में तीन से लेकर चार घंटे तक का समय लग जाता है। पीसीआर मशीन से होने वाली जांच के बाद ही पॉजिटीव या निगेटिव घोषित किया जाता है।