‘कहते हैं कि कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं और हारा वही जो लड़ा नहीं’.. हौंसले और हिम्मत की एक ऐसी ही जिती जागती मिसाल हैं पानीपत के हेमंत। जिन्होंने ट्रेन हादसे के दौरान अपना बायां हाथ गंवा दिया लेकिन फिर भी हिम्मत नही हारी। बता दें कि टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थ। लेकिन साल 2010 में उनके साथ ट्रेन हादसा हुआ और हेमंत ने अपना एक हाथ हमेशा के लिए गंवा दिया। शुरूआत में तो उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार से मदद की गुहार लगाइ। लेकिन जब कोई सहायता नहीं मिली, तो दुबारा गाड़ी का स्टेयरिंग ही थाम लिया। हेमंत ने अपने यात्रियों पर इतना भरोसा जगाया कि आज कई परिवार वाले उसकी टेक्सी पर जाना चाहते हैं।
टैक्सी स्टैंड एशोसिएशन के सभी साथियों ने हिम्मत जुटाई तो दुबारा टैक्सी चलाने लगा अब टैक्सी यूनियन ने सरकार से मांग कर रही है हेमंत लाइसेंस रिन्यू किया जाए।
हेमंत की कहानी किसी हिंदी फिल्म से कम नहीं हैं। समाज में हेमंत जैसे लोग ही मिसाल बनते हैं। लेकिन बड़ी बात तो ये है कि प्रशासन जिसे हेमंत की सहायता करनी चाहिए थी, वो आखिर इस मामले पर शांत क्यों है।