दुनिया में कोरोना जैसी जानलेवा महामारी क्या आई, इसने तो मानों लोगों का असली चेहरा ही दिखा दिया। इस कोरोना बिमारी ने दिखा दिया कि आखिर दोगले लोगों की असलियत क्या है। लोग बाहर से खुद को जितना माॅर्डन और बड़ी सोच का कहते हैं अदंर से उतने ही खोखले और छोटी सोच वाले हैं। मामला पानीपत से सामने आया है। जहां स्थानीय लोगों ने कोरोना योद्धाओं का अपमान किया है। ये वो कोरोना योद्धा हैं जिन्होंने डाॅक्टरों के साथ मिलकर कोरोना पेशेंट की डेड बाॅडी का अंतिम संस्कार किया है। अब इसी टीम को लोगों की नफरत झेलनी पड रही है। क्योंकि लोग तो इन्हें अब घृणा भरी नजरों से देखने लगे हैं।
वीओ.. बता दें कि ये समाज सेवी अब तक 10 डेड बाॅडीज का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इसके अलावा लावारिस लाशों अंतिम संस्कार भी इन लोगों ने अपने खर्चे पर ही किया है। हैरानी की बात देखिए कि जिन कोरोना पेशेंट की लाश को उनके परिजन पूछते तक नहीं है, उनके लिए इन कोरोना योद्धाओं ने अपनी जान जोखिम में डाली। लेकिन बदले में इन्हें क्या मिला, समाज की नफरत। आस- पड़ोस के लोगो ने इनसे दूरी बनानी शुरू कर दी है। बड़े अफसोस कि बात है जिन कोरोना योद्धा को सम्मान मिलना चाहिए था, उन्ही योद्धओं का लोग अपनी छोटी सोच से अपमान कर रहे हैं।
वीओ.. इन तीन कोरोना योद्धाओं को जहां समाज से सम्मान मिलना चाहिए था, तो वहीं अब इन्हें नफरत मिल रही है। माना कि सामाजिक दूरी ही आपको कोरोना महामारी से बचा सकती है। लेकिन इस तरह किसी का अपमान करना भला कहां का न्याय है। आखिर इन योद्धाओं को भी सम्मान का उतना ही हक है जितना कि आप डाॅक्टरों व सफाई कर्मचारियों को दे रहे हैं।