Wednesday , 18 September 2024

एनकाउंटर में ढेर हुआ कानपुर का ‘डाॅन’, देखिए विकास दूबे के अपराधों का लेखा- जोखा

पुलिस के साथ कई दिनों तक लुका छिपी का खेल खेलने वाले गैंगस्टर विकास दूबे की कहानी आखिरकार खत्म हो ही गई। आज यानि शुक्रवार को कानपुर से महज कुछ ही दूरी पर पुलिस मुठीभेड़ में गैंगस्टर विकास दूबे ढेर हो गया। जानरी मुताबिक शुक्रवार के दिन सुबह 10 बजे विकास दूबे की कोर्ट में पेशी होनी थी। जिसके लिए पुलिस उसे मध्यप्रदेश के उज्जैन से कानपुर ले कर आ रही थी। लेकिन बीच रास्त में की गाड़ी एक्सीडेंट होने से पलट गई। जानकारी मुताबिक तभी गैंगस्टर ने पुिलस की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की। जिसके बाद पुलिस ने एनकांउटर कर मार गिराया।

8 दिन में खत्म हुई सल्तनत

वो विकास दूबे जो खुद को कानपुर का किंग समझता था। जिसने ना जाने कितने ही मासूमांे को मौत के घाट उतारा होगा। विकास दूबे की किलेनुमा हवेली मौत के रंग से रंगी होगी। लेकिन कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की शहादत उसके जिंदगी के ताबूत पर आखिरी कील साबित हुई। कानपुर कांड के महज 8 दिन बाद ही उसी विकास दूबे की सलतनत अब खत्म हो चुकी है। 

दफन हो गए कई सवाल
बता दें कि गैंगस्टर विकास दुबे के मामले में पुलिस की भूमिका शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है। कुछ मीडिया रिपोर्टस की मानें तो उज्जैन में ही जब विकास दूबे से पूछताछ की जा रही थी तो वहां भी उसने पुलिसिया मदद की बात कबूली थी। उसने बताया था कि कई पुलिस चैंकियो ने बकायदा मदद भी की थी। लेकिन इससे पहले कि ये राज खुल पाते, पुलिस एनकाउंटर में विकास दूबे ढेर हो गया और ये सभी सवाल उसके साथ ही दफन हो गए। 

सवालों के घेरे में एनकाउंटर 
पुलिस की इस कार्रवाई पर अब कई सवाल उठने लगे हैं। राजनेताओं के अलावा सोशल मीडिया पर भी पुलिस और सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि चलती गाड़ी में विकास दूबे पुलिस के चंगुल से कैसे भाग निकला? क्या इतने कुख्यात अपराधी के हाथ मे हथकड़ियां नहीं लगी थी?  क्या पुलिस ने उसे हथकड़ी नहीं पहनाई थी? क्या पुलिस पहले से ही अलर्ट नहीं थी? विकास दूबे आखिर पुलिस की पिस्तौल छिन कर भागा कैसे? 
विकास दूबे पर क्रिमीनल रिकाॅर्ड का ‘जाल’
90 के दशक से अब तक विकास दुबे ने राजनीतिक संरक्षण और अपराध के चलते अपनी हनक बनाई। वर्तमान में विकास दुबे के खिलाफ 60 अपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या और हत्या के प्रयास के 20 मुकदमे, गुंडा और गैंगस्टर एक्ट के 15 मुकदमे, दंगों के 19 मुकदमे और एनडीपीएस के दो मुकदमे शामिल हैं। एक बार उस पर रासुका भी लगाया गया है।  

बचपन के सपने पर ‘क्राइम’ का डेरा
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का आपराधिक इतिहास रहा है। बचपन से ही वो अपराध की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहता था। पहले उसने गैंग बनाया और फिर लूट, डकैती और कई हत्याओं को अंजाम दिया। बता दें कि 19 साल पहले उसने थाने में घुसकर एक दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की हत्या की और इसके बाद उसने राजनीति में एंट्री लेने की कोशिश की थी। लेकिन, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। विकास कई बार गिरफ्तार हुआ, एक बार तो लखनऊ में एसटीएफ ने उसे दबोचा था। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *