19 April 2019 : सरकार के 134 ए के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने का मौका देने के फसले पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। बता दें निजी स्कूलों ने एकजुट होकर निर्णय लिया है कि जब तक उनके पिछले पैसों का भुगतान नहीं होता वो 134 ए के तहत बच्चों को दाखिला नहीं देंगे। जहां दूसरे बच्चों की स्कूलों में पढाई शुरू हो चुकी है , वहां 134ए के तहत बच्चें अभी तक दाखिला प्रक्रिया में उलझे हुए हैं । इस बारे में जब प्राईवेट स्कूल फैडरेशन के ब्लाक प्रधान सुरेश आर्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कूलों का फैसला है कि तब तक दाखिला नहीं देंगे जब तक सरकार प्राइवेट स्कूलों का पुराना भुगतान नहीं कर देती। उनका कहना है कि पिछले चार सालों से प्राइवेट स्कूल 134 ए के तहत बच्चों को दाखिलादे रहे है और दाखिले के लिए स्कूलों ने कभी मना नहीं किया। लेकिन पिछले समय से प्राइवेट स्कूलों की प्रतिभुति राशी नहीं दी जा रही इसलिए प्राइवेट स्कूल सरकार से बकाया राशि के भुगतान की मांग कर रहे हैं। ताकि बच्चों को किसी असुविधा का सामना न करना पडे। सुरेश आर्य ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि असल में सरकार गरीब बच्चों को पढाना ही नहीं चाहती। अगर सरकार पढाना चाहती तो किसी प्रकार का कोई ढोग रचने की जरूरत नहीं होती। उन्होंने कहा कि सीधे छात्र के खाते में पैसे डाले जाए जिससे वो शिक्षा प्राप्त कर सके। वही धारा 134 ए के तहत बच्चे के दाखिले को लेकर आए अभिभावक भी प्राइवेट स्कूल के हक़ में बोलते नजर आए मगर साथ ही स्कूलों से भी ब्च्चों का एडमिशन करने की बात भी कही क्योकि इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर हो रहा।
वहीं जब इस मामले को लेकर खण्ड शिक्षा अधिकारी से बात करने पहुंचे तो वो छुटटी पर थे। लेकिन फोन पर बात करते हुए उन्होनें बताया कि विभाग की तरफ से आदेश है कि स्कूल 134 ए के तहत बच्चों के वाउचर बना विभाग में जमा करवा दे। वहीं दाखिला न देने के सवाल पर उन्होनें स्कूलों द्वारा शिक्षा विभाग के आदेश ना मानने पर स्कूलों की मान्यता रद्द होने की बात कही। अब देखना ये होगा कि सरकार और निजी स्कूल का यह आपसी विवाद कब तक सुलझता है। जिससे आर्थिक रूप से पिछडे बच्चों का शैक्षिण भविष्य खराब होने से बच सके।