14 April 2019 : 1930 का दशक जब देश आजाद नहीं हुआ था।महात्मा गांधी भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाने के लिए सबसे बड़े स्वतंत्रता आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे। उसी दौरान 41 साल का एक और नेता था जिसे सिर्फ एक ही चिंता सता रही थी और वो थी दलितों और हर पिछड़े वर्ग की जो सैकड़ों सालों से शोषित और वंचित थे। जी हाँ हम बात कर रहे हैं भारतरत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की जिन्हें दलितों का मसीहा माना जाता है, जबकि असलियत में उन्होंने जीवन भर दलितों की नहीं, बल्कि समाज के सभी शोषित वर्गो के अधिकारों की लड़ाई लड़ी।
भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक एक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था। इनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में काम करते थे।ये अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे। ये महार जाति से ताल्लुक रखते थे, जिसे हिंदू धर्म में अछूत माना जाता था।भीमराव ने अपने एक ब्राह्मण दोस्त के कहने पर अपने नाम से सकपाल हटाकर अंबेडकर जोड़ लिया, जो अंबावड़े गांव से प्रेरित था।
अंबेडकर की गिनती दुनिया के सबसे मेधावी व्यक्तियों में होती थी। वे नौ भाषाओं के जानकार थे। इन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानद उपाधियां मिली थीं। इनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं। अंबेडकर को 15 अगस्त, 1947 को देश की आजादी के बाद देश के पहले देशी संविधान के निर्माण के लिए 29 अगस्त, 1947 को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। फिर दो वर्ष, 11 माह, 18 दिन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ, 26 नवंबर, 1949 को इसे अपनाया गया और 26 जनवरी, 1950 को लागू कर दिया गया. कानूनविद् अंबेडकर को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत का पहला कानून मंत्री बनाया था। इसके अलावा इन्होंने मजदूरों के लिए इंडियन ट्रेड यूनियन अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम, मुआवजा आदि सुधार भी इन्हीं के प्रयासों से हुए। उन्होंने मजदूरों को राजनीति में सक्रिय भागीदारी करने के लिए प्रेरित किया। वर्तमान के लगभग सभी श्रम कानून बाबा साहेब के ही बनाए हुए हैं।
ये अकेले भारतीय हैं, जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी है। साल 1948 में डॉ अंबेडकर मधुमेह से पीड़ित हो गए जिसके बाद 6 दिसंबर, 1956 को इनका निधन हो गया। डॉ अंबेडकर को देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले। इनके निधन के 34 साल बाद वर्ष 1990 में जनता दल की वी.पी. सिंह सरकार ने इन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किया था. इस सरकार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बाहर से समर्थन दे रही थी। प्रथम तेहेलका के facebook और Youtube पेज से जुड़ें के लिए यहां क्लिक करें